Site icon Ghamasan News

नया घर खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, वरना बन सकता है जीवन में संकटों का कारण

New House Vastu Tips

आज के दौर में नया घर खरीदना केवल एक संपत्ति में निवेश नहीं, बल्कि जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है। यह न सिर्फ आपकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालता है, बल्कि परिवार के सुख, शांति और समृद्धि में भी अहम भूमिका निभाता है।

ऐसे में वास्तु शास्त्र के नियमों को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इनके पालन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, जबकि अनदेखी करने पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मुख्य द्वार और घर की दिशा का महत्व

घर का मुख्य द्वार ऊर्जा के प्रवेश का केन्द्र होता है। पूर्वमुखी घरों को सबसे शुभ माना जाता है, खासतौर पर अध्यात्म, शिक्षा या रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए। उत्तरमुखी घर भी बहुत ही फलदायक होते हैं, जो व्यापार, धन और अवसरों को आकर्षित करते हैं। वहीं उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख वाला घर पूजा-पाठ और सकारात्मक ऊर्जा के लिए श्रेष्ठ होता है।

इसके विपरीत, दक्षिणमुखी या दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले घरों को अशुभ माना गया है। ऐसे घर मानसिक तनाव, रोग और आर्थिक परेशानियों का कारण बन सकते हैं, इसलिए इनका चुनाव करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

प्लॉट का आकार और स्थान कैसा होना चाहिए?

वास्तु के अनुसार, प्लॉट का आकार हमेशा वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। त्रिकोणीय, गोल या अनियमित आकार वाले प्लॉट से बचना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, घर के आस-पास श्मशान, कब्रिस्तान, कचरे का ढेर, अस्पताल या मंदिर जैसे स्थान नहीं होने चाहिए। घर के सामने बड़ा पेड़ या खंभा भी द्वार वेध कहलाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा को बाधित करता है। चौराहे या तिराहे पर बने मकान में भी वास्तु दोष हो सकते हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक निरीक्षण आवश्यक है।

घर के अंदर की दिशा क्या होनी चाहिए?

घर के अंदर कमरों की सही दिशा भी वास्तु के अनुसार निर्धारित होनी चाहिए। रसोईघर को दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में बनवाना सबसे शुभ माना गया है, जबकि उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम में रसोई होने से गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं। मास्टर बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा उत्तम होती है, जो परिवार में स्थिरता और सामंजस्य बनाए रखती है।

वहीं, पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए, ताकि घर में आध्यात्मिक ऊर्जा बनी रहे। पूजा घर को शौचालय या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। शौचालय के लिए उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा उचित मानी जाती है, जबकि ईशान कोण में शौचालय होने से स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं।

घर में पर्याप्त रोशनी और हवा आना भी बहुत जरूरी है, खासकर उत्तर और पूर्व दिशा से। इससे घर में ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। घर या प्लॉट का ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना गया है, जिससे धन का प्रवाह बना रहता है और समृद्धि आती है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।

Exit mobile version