फ्रांस से शुरू हुआ इस्लामिक कट्टरपंथियों का विरोध अब दुनियाभर में कोरोना संक्रमण की तरह फैलना चाहिए… सभ्य और शांतिप्रिय समाज में किसी तरह की धार्मिक कट्टरता को कोई जगह नहीं मिलना चाहिए… फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे पैगम्बर साहब के बनाए कार्टून से आहत हैं, लेकिन इसके जवाब में किसी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता…
फ्रांस ने कट्टरपंथियों की हिंसात्मक घटनाओं को इस्लामिक आतंकवाद करार देते हुए सख्त कानूनी कदम उठाने का निर्णय लिया, जिसके चलते मुस्लिम बहुल देश फ्रांस के खिलाफ हो गए और सामान का बहिष्कार भी करने लगे… हालांकि इससे अधिक फर्क फ्रांस को नहीं पड़ेगा, मगर उसने दुनिया को यह संदेश अवश्य दे दिया कि कट्टरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती , धर्म की तुलना में संविधान अधिक महत्वपूर्ण है… हालांकि भारत में भी ऐसा होना चाहिए, लेकिन इसलिए संभव नहीं है क्योंकि हमारे राजनीतिक दल धर्म और जाति के आधार पर ही वोटों का ध्रुवीकरण कर सत्ता हासिल करते आए हैं…
कांग्रेस ने जहां तुष्टिकरण की नीति अपनाई, जिसने देश का नुकसान किया, तो भाजपा ने भी धर्म-जाति का सहारा लिया…इसकी बजाय अगर भारत का संविधान सर्वोपरि माना जाए तो फिर सबको राजधर्म का पालन करना होगा, जो कोई राजनीतिक दल नहीं चाहता है… बहरहाल, फ्रांस के राष्ट्रपति को साधुवाद जिन्होंने इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ जंग का ऐलान किया और उस चक्कर में जाने-माने शायर मुनव्वर राणा तक एक्सपोज हो गए… आखिर एक उम्दा शायर कैसे आतंकवाद का समर्थन कर सकता है..? दरअसल इस तरह की जेहादी सोच- नफरत के चलते ही भारत में भी सद्भाव और एकता को नुकसान पहुंचता रहा है…मगर अब समय आ गया है कि एकजुटता के साथ मजहबी यानी धार्मिक कट्टरता का पुरजोर विरोध किया जाए ..!
@ राजेश ज्वेल