पूर्वोत्तर राज्यों में केवल मिजोरम एकमात्र कांग्रेस शासित प्रदेश है। बीजेपी बाकी राज्यों से कांग्रेस का सफाया कर चुकी है। ऐसे में मिजोरम का चुनाव कांग्रेस के लिए इज्जत का सवाल बना हुआ है।
बीजेपी अपने एजेंडा नुसार पूर्वोत्तर को कांग्रेस मुक्त करने की रणनीति अपनाते हुए इस बार इस राज्य में पूरी ताकत लगा रही है। इस बार राज्य में सत्ता के विरोध में चल रही लहर कांग्रेस के खिलाफ जा सकती है और उसका फायदा बीजेपी और क्षेत्रीय पार्टियां उठा सकती है। अगर कांग्रेस की सरकार नहीं बनती तो इन क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति मजबूत हो सकती है।
कांग्रेस के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। मिजोरम के मुख्यमंत्री पर खदानों के डिप्टी कंट्रोलर ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। मिजोरम में 11 लाख मतलब करीब 70 प्रतिशत आबादी किसान है। राजधानी आइजवाल की सड़कों पर उतरकर राज्य के किसान भूमि सुधार और बाजार को नियंत्रित करने की मांग कर हैं। जो कांग्रेस के लिए बुरे संकेत है।
एनपीपी मेघालय और मणिपुर में बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार में शामिल है और मिजोरम में चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। यहां पर तीन दल कांग्रेस, मिजो नेशनल फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस ही मुख्य रूप से एक-दूसरे से जोर अजमाइश करते हैं।
40 सीटों वाले इस पूर्वोत्तरके इस छोटे से राज्य में चुनाव 28 नवंबर को होंगे। क्षेत्रीय पार्टिया पूरी ताक़त से लड रही है उनके मैदान में आने से मुकाबले काफी दिलचस्प हो चुके हैं। अभी राज्य में चुनाव के पहले और बाद के गठबंधन की सूरत पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा।
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