होलाष्टक में करें नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ, नहीं पड़ेगा उग्र ग्रहों का अशुभ प्रभाव, सभी कष्ट हो जाएंगे दूर

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होलाष्टक 2023 की शुरूआत

हिन्दू पंचांग के अनुसार, आज 27 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि की शुरूआत 12:58 AM से हुई है और इसका समापन 28 फरवरी को 02:21 AM पर होगा। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि आज से प्रारंभ हो रही है, इसलिए आज प्रात:काल से होलाष्टक लग गया है।

होली के त्यौहार से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। जो कि आज से शुरू हो चुका है। आपको बता दे, कि इस बार 8 नहीं बल्कि 9 दिन का रहेगा होलाष्टक। इन 9 दिनों में सभी शुभ कामों पर रोक लग जाती है। ये फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से शुरू हो जाता है जो कि होलिका दहन तक रहता है, इसे होलाष्टक कहा जाता है। आज से शुरू हुआ होलाष्टक 7 मार्च तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते है लेकिन इसमें जन्म और मृत्यु से जुड़े कार्य किए जा सकते हैं।\

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हर ग्रह की शांति करता है : नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (अर्थ सहित) - Navgrah stotra | Webdunia Hindi

होलाष्टक में 8 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, गुरु, मंगल, बुध, शनि, शुक्र और राहु उग्र होते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों को करना निषेध माना जाता हैं। जिनकी कुंडली में इनमें से कोई भी ग्रह कमजोर हो या उससे जुड़ा दोष हो या वो नीच की स्थिति में हो तो हर कार्य का अशुभ ही फल देता है। इससे आपके कार्यों में कई प्रकार की अड़चने आ सकती हैं। इससे आपकी सेहत पर बुरा असर हो सकता है। होलाष्टक के दौरान इन सभी उग्र ग्रहों को शांत करने के उपाय करने चाहिए। आप पर जिस भी ग्रह का अधिक दुष्प्रभाव है तो उस ग्र​​ह की शांति कराना चाहिए।

holashtak remedies for nav grah shanti navgrah ke uppay - होलाष्टक में नव ग्रह शांति के लिए कीजिए ये उपाय, क्रोधित ग्रह हो जाएंगे कूल, मिलेगा शुभ फल - India TV Hindi

होलाष्टक के दौरान उग्र ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए आप नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। ब्रह्माण्ड पुराण के मुताबिक, ग्रहों से मिलने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र बहुत ही प्रभावी होता है। नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र में सभी 9 ग्रहों से पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना की गई है। यह स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है। यदि आप पढ़ सकते हैं तो होलाष्टक के 09 दिनों में पूजा के समय स्वयं ही पढ़ लिया करें। यदि आप नहीं पढ़ सकते हैं तो किसी योग्य पंडित जी से अपने लिए इसका पाठ करा सकते हैं।

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सारे ग्रहों को एक साथ कैसे प्रसन्न करें, पढ़ें नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र

  • ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:।
    विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।
  • रोहिणीश: सुधा‍मूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।
    विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।।
  • भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
    वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।।
  • उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।
    सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।।
  • देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
    अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।
  • दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।
    प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु:।।
  • सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
    मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।।
  • अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्।
    उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।।
  • महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।
    अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।

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