चंडीगढ़ में हुए में हुए मेयर चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत पर विपक्ष सवाल उठाने लगा था. बता दें 30 जनवरी को हुए चुनाव में विपक्षी दलों के पास बहुमत होने के बाद भी हार गया था. ऐसे में विपक्षी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट का रूख की थी. जहां सुनवाई करते हुए सख्त सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है.
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में धांधली मामले में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को भी नोटिस जारी किया है चुनाव के दिन का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.चुनाव प्रक्रिया के दौरान के जो वीडियो सामने आए थे, उनमें देखा जा सकता है कोर्ट नें अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इनसे बताइए कि सुप्रीम कोर्ट इन्हें देख रहा है. हम लोकतंत्र की ऐसे हत्या नहीं होने देंगेण् देश में स्थिरता लाने की सबसे अहम शक्ति चुनाव प्रक्रिया की शुचिता है.
कोर्ट ने वायरल हुए वीडियो पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग्स और मतपत्रों को सरंक्षित रखा जाए.डीवाई चंद्रचूड़ ने वीडियो देखने के बाद पीठासीन अधिकारी के बारे में कहा, ये साफ़ है कि मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ हुई है. क्या इस तरह से चुनाव करवाए जाते हैं? इस आदमी पर मुक़दमा चलना चाहिए. ये कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं और फिर किसी भगोड़े की तरह भाग क्यों रहे हैं आपको बता दें इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जेबी पर्दीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा है.
सख्त टिप्पणी की वजह
दरअसल चंडीगढ़ के सांसद को भी वोट करने का अधिकार होता है. ये सांसद बीजेपी की किरण खेर हैं.यानी बीजेपी के 14 पार्षद, एक सांसद और शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद को मिलाकर 16 वोट होते हैं.आम आदमी पार्टी के पास 13 पार्षद और कांग्रेस के पास सात पार्षद हैं.यानी इंडिया गठबंधन के पास कुल 20 वोट थे.लेकिन जब पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने विपक्ष के 8 वोट को निरस्त कर दिया. जिससे तब बीजेपी के मनोज सोनकर की जीत हुई. चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं.
गौरतलब है कि भाजपा की इस जीत पर विपक्ष ने जबरदस्त हमला बोला था. मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉंफ्रेस कर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया था. वही विपक्ष के मेयर पद के दावेदार रहे रोते हुए दिखे थे. इसके बाद से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं ने जमकर हमला बोला था. वही अब सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी से विपक्ष का मनोबल बढ़ा दिया है.
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