जानें राजनीतिक गुरू लालकृष्ण आडवाणी को ‘भारत रत्न’ देने की वजह, PM मोदी के साथ खट्टे- मीठे रहे रिश्ते..

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भाजपा के वरिष्ठ नेता और अटल सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। इस बात की जानकारी खुद पीएम मोदी ने दी । वहीं अब आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की चर्चाएं होने लगी है। इसे लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।

पीएम मोदी के राजनीतिक गुरू
यह माना जाता है कि यह लालकृष्ण आडवाणी ही थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को एक युवा आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में आगे बढ़ाया और उन्हें भाजपा रैंक में ऊपर उठाया, जिससे उन्हें 2000 के दशक की शुरुआत में गुजरात का सीएम बनने में मदद मिली। यह भी कहा जाता है कि वह आडवाणी ही थे, जिन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी की सीएम कुर्सी बचाई थी।

 सिध्दातों पर जीने वाले नेता
सार्वजनिक जीवन ही नहींए उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में भी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। यह बहुत कम लोगों को मालूम है कि जब उन्हें दिल्ली में अपना एक प्लाट बेचने की नौबत आई तो उस वक्त भी उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर वित्तीय घाटा तो उठाया लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। दरअसलए दिल्ली के प्रीत विहार में उनका प्लाट था। कुछ वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आडवाणी को यह प्लॉट बेचना पड़ा।

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक
आडवाणी के सम्मान को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है। मोदी का यह कदम लोकसभा चुनाव को लेकर अच्छा फैसला हो सकता है। हालांकि इसमें कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का मामला भी शामिल है। यह ऐसे समय में आया जब विपक्ष जाति जनगणना की अपनी मांग को इतना मजबूत मुद्दा बनाने की उम्मीद कर रहा है कि वह भाजपा के राम मंदिर निर्माण के बाद के हिंदुत्व के उत्साह का मुकाबला कर सके।

इससे पहले पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से जिन अन्य पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया उनमें शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी और एक बार कांग्रेस अध्यक्ष रहे मदन मोहन मालवीय शामिल हैं। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी, असमिया गायक और संगीतकार भूपेन हजारिका और आरएसएस नेता नानाजी देशमुख शामिल हैं।

गौरतलब है कि,कांग्रेस और विपक्ष लगातार आडवाणी को किनारा किए जाने का सवाल उठाता रहा हैं। लोकसभा चुनाव में भी कुछ महीने का समय बचा है। ऐसे में बीजेपी का मिशन 400 सीटे जीतने का सपना पूरा हो सकता है ।