दुर्लभ ओषधीय पौधों के साथ-साथ वर्टिकल गार्डन में नारियल की शेल में उगाए जा रहे पौधे

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इंदौर। आज के दौर में हर चीज़ में मिलावट पाई जाती है, और इसका बुरा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है, वहीं इस दुष्परिणाम से निपटने के लिए हम जिन दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं उनमें भी कई प्रकार के ऐसे ड्रग होते है जो स्वास्थ्य पर गलत असर पैदा करते हैं, पहले के जमाने में औषधीय पौधों से हर समस्या का समाधान किया जाता था। इसी को ध्यान मे रखते हुए शहर के होलकर साइंस कॉलेज में औषधीय गार्डन तैयार किया जा रहा है। जिसमें कई प्रकार के ओषधीय पौधों को तैयार किया जा रहा है।

कई प्रकार के प्राकृतिक गुणों से भरपुर पौधों को किया जा रहा तैयार

बगीचे में हरड़, बहेड़ा, चारोली, कबीट, आंवला, इंसुलिन, स्टीबिया, पत्थरचट्टा, काशनी, पुनर्नवा, अश्वगंधा, अजवाइन, हल्दी, तुलसी, शमी का पौधा, देशी गुलाब, मधुकामली, इलायची, काली मिर्च, और अन्य प्रकार के पौधे लगाए गए हैं।

कीटनाशक के बजाय होता है इन चीजों का इस्तेमाल

पौधों को बीमारी से बचाने के लिए कीटनाशक के बजाय प्राकृतिक रूप से तैयार छाछ, नीम का कड़वा पानी, गोबर की खाद और अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन पौधों को सीधे धूप और अन्य चीजों से बचाने के लिए एक लोहे को जाली से कर किया गया है।

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वर्टिकल गार्डन भी किया जा रहा तैयार

कॉलेज परिसर में ओषधीय गार्डन के साथ साथ वर्टिकल गार्डन भी तैयार किया जा रहा है, वहीं खास बात यह है कि इस वर्टिकल गार्डन में पौधों को प्लास्टिक के पॉट की बजाय कोकोनट की शेल में तैयार किया जा रहा है, इन शेल में छेद कर इन्हें जालियों पर लटका दिया गया है, यह दिखने में जितने आकर्षक है उतने ही इको फ्रेंडली है।