इंदौर। भगवान श्रीराम के परमभक्त हनुमान जी को आंजनेय और मारुति के नाम से भी जाना जाता है। भगवान हनुमान जी सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में एक हैं। वह भगवान शिवजी के सभी अवतारों में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। हनुमान जी के शहर में कई भक्त है, शहर स्थित उनके कई मंदिर है। हनुमान जयंती के अवसर पर जानते है शहर और इसके आसपास के प्रसिद्ध मंदिरो के बारे में।
पितृ पर्वत पर भगवान हनुमान जी की 108 टन की 72 फीट ऊंची प्रतिमा है।
शहर के पश्चिम में स्थित पितृ पर्वत पर विराजित भगवान हनुमान जी की मूर्ति देशभर में प्रचलित है। यहां पर हनुमान जी की लगभग 108 टन की 72 फीट ऊंची प्रतिमा है। वहीं इसकी गदा की लंबाई 47 फीट है। शहर के पितृ दोष दूर करने के लिए इस प्रतिमा की स्थापना 2020 में गई है। इस प्रतिमा का निर्माण ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल के समय में किया है। इस प्रतिमा के लिए जर्मनी से दो करोड़ रुपए में खास लाइट मंगवाई गई है। रात के समय यह प्रतिमा काफी आकर्षक दिखाई देती है। यहां हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है। प्रतिमा के सीने पर 7 रंगों में हनुमान चालीसा का चित्रमय वर्णन दिखाई देता है। हल ही में पितृ पर्वत पर 51 हजार श्रद्धालुओं ने एक साथ 2 लाख बार हनुमान चालीसा का पाठ किया है।
शहर से कुछ दूर सांवेर में हनुमानजी की उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी प्रतिमा है
शहर में भगवान हनुमान जी की कई अद्भुत और प्राचीन काल से प्रचलित मूर्तियां और मंदिर है। शहर के पास स्थित सांवेर में ऐसी ही भगवान हनुमान जी की मूर्ति है। यह प्रतिमा उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी है। क्षेत्र में मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की कहानी रामायण काल से जुड़ी है। जब रामायण काल में अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर जब अहिरावण उन्हें बंदी बनाकर पाताल लोक ले गया था। कहा जाता है, कि उस समय भगवान श्रीराम की रक्षा के लिए हनुमानजी ने पाताल लोक में यहीं से प्रवेश किए थे। और अहिरावण का वध किया था। इस मंदिर में श्रीराम जी , माता सीता, लक्ष्मणजी के साथ भगवान शिव और पार्वती को भी मूर्तियां है। यहां मंगलवार को कई भक्त बाहर से दर्शन के लिए आते है।और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ावा चढ़ाते है।
पंचकुइया क्षेत्र में श्री वीर अलीजा हनुमान मंदिर में हनुमान जी की पाषाण प्रतिमा है
इंदौर के पंचकुइया क्षेत्र में श्री वीर अलीजा हनुमान मंदिर की स्थापना इंदौर में होल्कर रियासत के उदय के पहले लगभग 700 वर्ष पूर्व की है। भगवान यहां वीर स्वरूप में हैं। भगवान की स्वयंभू प्रतिमा है। उनके दोनों हाथ में गदा है। मंदिर में उसी समय की स्थापित रामभक्त श्री हनुमान जी की पाषाण प्रतिमा है जिन्हें ‘वीर आलीजा हनुमान’ के नाम से जाना जाता है। इसकी ऊंचाई 5 फीट और चौड़ाई 3 फीट है। यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। यहां हनुमानजी को चोला चढ़ाने के लिए भक्तों को बुकिंग करवानी पड़ती है, कई साल तक इंतजार करने के बाद नंबर आता है। यहां कई धार्मिक आयोजन होते हैं और खासकर हनुमान जयंती पर यहां भक्तों का तांता लग जाता है।
हारे का सहारा रणजीत हनुमान मंदिर
शहर में भगवान हनुमान जी की कई मुद्राओं में प्रतिमा है। वहीं 1907 स्थापित किया गया रणजीत हनुमान मंदिर हारे का सहारा है। कहा जाता है कि अल्हड़सिंह भारद्वाज हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने तब इस वीरान जंगल क्षेत्र में पतरे की ओट लगाकर हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित कर दी और छोटा-सा अखाड़ा बना दिया। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां विराजित हनुमान ढाल और तलवार लिए विराजमान है। कहा जाता है कि यह अपनी तरह की विश्व की एकमात्र प्रतिमा है। इसके अतिरिक्त उनके चरणों में अहिरावण है। मूर्ति को देखकर लगता है जैसे कि भगवान किसी युद्ध में जाने की तैयारी में है। कहा जाता है कि शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित रणजीत हनुमान मंदिर 130 वर्षों से भक्तों को जीत का आर्शीवाद दे रहे हैं। यहां कई भक्त अपनी जीत की कामना लेकर आते हैं और रण जीत लेते हैं।रामनवमी और हनुमान जयंती पर यहां विशेष श्रृंगार, अनुष्ठान, पूजा-पाठ और आरती की जाती है