राज्यसभा सांसद ने रेल मंत्री से की, क्षेत्र की रेल परियोजना पर विस्तृत चर्चा

Akanksha
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बड़वानी 29 अगस्त 2021/राज्यसभा सांसद डॉ सुमेरसिंह सोलंकी ने भारत सरकार के रेल एवं दूरसंचार मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव से भेंट कर विस्तृत चर्चा की । इस मौके पर डॉ सोलंकी द्वारा 105 वर्षों से प्रस्तावित नई रेल लाईन मनमाड़-इंदौर परियोजना को तत्काल मंजूर कर पूरी परियोजना पर एक साथ कार्य करने सम्बन्धी स्मरण पत्र सौंपा । इस दौरान परियोजना के सम्पूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की तथा रेल मंत्री ने उन सारी बाधाओं को दूर कर परियोजना को पूर्ण करने का आश्वासन दिया । सांसद ने निवेदन किया कि आदिवासी क्षेत्र के विकास हेतु इस परियोजना को शीघ्र प्रारंभ किया जाना अतिआवश्यक है।

उक्त रेल मार्ग का सर्वे मई ,2017 में पूर्ण कर अंतिम सर्वे रिपोर्ट सहित डी.पी.आर.तैयार हो चुकी है। इस प्रस्तावित परियोजना को लेकर वित्तिय प्रबन्ध शत प्रतिशत राशि अन्य मदों से , जिसमें जवाहर पोर्ट (जे. एन. पी. टी.) द्वारा 55 प्रतिशत राशि ,जहाजरानी मंत्रालय द्वारा 15 प्रतिशत राशि, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 15 प्रतिशत राशि तथा महाराष्ट्र सरकार द्वारा 15 प्रतिशत राशि मंजूर की जा चुकी है। इस तरह इस परियोजना को लेकर रेलवे को अपनी तरफ से 01 प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं करनी है।

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इस परियोजना को लेकर केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र राज्य शासन द्वारा एम. ओ. यू . भी पारित हो चुका है। इसका कार्य की डी. पी. आर. एसवीपीएस कम्पनी स्पेशल व्हीकल के द्वारा पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है । इस परियोजना को पूर्ण करने की कार्यवाही चल रही है । इसी बीच पश्चिम रेलवे द्वारा मात्र चार पुलियाओं का टेंडर निकाला गया है। परियोजना को पूर्ण करने हेतु पश्चिम रेलवे द्वारा 492.76 करोड़ रुपये की राशि 30 जनवरी, 2018 को स्वीकृत कर टेंडर निकाला गया था, जबकि पूरी परियोजना का टेंडर निकाला जाना चाहिए था । क्योंकि इस परियोजना को लेकर पूरी राशि अन्य मदों से दी जा रही है उसके बावजूद अंतरिम बजट 2019-20 में 4983.19 करोड़ रुपये का क्यों मंजूर किया गया ? जबकि पूरी राशि अन्य मदों से पहले ही स्वीकृत हो चुकी है। एक ही परियोजना के लिए दो अलग -अलग मदों से राशि स्वीकृत करने के बावजूद भी इस परियोजना का पूर्ण कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं हो सका है?

सांसद ने रेल मंत्री जी को अवगत कराया कि इस रेल मार्ग के प्रारंभ होने से निमाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आदिवासी भाइयों के भाग्य को बदला जा सकता है तथा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र क्षेत्र के साथ-साथ देश के लगभग सभी जगह कार्यरत सैनिकों के आवागमन की दूरियों को भी कम किया जा सकेगा । इस रेलवे परियोजना के लागू होने से अनेक गाड़ियों की दूरी लगभग 250 से 600 किलोमीटर कम होगी। इस मौके पर क्षेत्र में दूरसंचार को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई जिनके समाधान का आश्वासन मिला।