अरविंद तिवारी
बात यहां से शुरू करते हैं
• मंत्रिमंडल के माइक 2 यानी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा इंदौर के प्रभारी भी है उन्हें प्रभारी बनाए जाने की घोषणा के बाद माइक वन यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक इंदौर दौरा भी हो चुका है। इस दौरे में प्रभारी मंत्री की गैरमौजूदगी पार्टी के नेताओं के साथ ही आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय है। इसे लेकर दो तरह की बातें हो रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया तो कुछ का कहना है कि उन्होंने आना जरूरी नहीं समझा। दोनों नेताओं के बीच पिछले 15 महीनों में बनते बिगड़ते रिश्तो की जो कहानी सामने आ रही है उससे जोड़कर देखें तो यही कहा जा सकता है कि वे मानने को तैयार नहीं है और इनकी समझाने में कोई रुचि नहीं है।
• मालवा के 7 जिलों के दौरे पर निकले ज्योतिरादित्य सिंधिया को इन जिलों के भाजपा नेताओं ने जिस तरह हाथों हाथ लिया उससे यह तो साबित हो ही गया की सिंधिया को लेकर भाजपा में एक अलग नजरिया है। भविष्य की बड़ी संभावना के मद्देनजर हर कोई उनसे अपने तार जोड़ कर रखना चाहता है। इस दौरे में उनकी शार्पनेस सहजता और अपनत्व भरे भाव की भी बड़ी चर्चा रही। सिंधिया ने भी सब को साधने में कोई कसर बाकी नहीं रखी और जिससे भी मिलने गए वह यह तो कहा ही बैठा की भैया दम तो है। उनके खास सिपहसालार तुलसी सिलावट ने जिस तरह पीछे रहकर भाजपा के दिग्गजों को आगे रखा और जिस गर्मजोशी वाले अंदाज में सिंधिया इनसे मिले उससे यह तो स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस की तरह भाजपा में भी ग्वालियर चंबल के बाद मालवा निमाड़ ही सिंधिया का पसंदीदा क्षेत्र रहेगा।
• यह मानने में तो कोई दिक्कत ही नहीं है कि कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के सबसे पसंदीदा नेता आज भी दिग्विजय सिंह ही है। 1990 से उनका जोश संपर्क मैदानी लोगों से रहा है उसका फायदा उन्हें आज भी मिलता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कांग्रेस के साथ ही बूथ लेवल तक दिग्विजय का अपना एक अलग नेटवर्क है। यही कारण है कि कौन कहां कितना वजन दार है इसका आकलन वह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में ज्यादा आसानी से कर लेते हैं। झाबुआ अलीराजपुर के उनके दौरे को कुछ इसी तरह देखा जा रहा है निकट भविष्य में जोबट में उपचुनाव होना है। अब जब दिग्विजय इन जिलों के अपने दौरे के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से रूबरू हुए तो जोबट को लेकर किस की क्या राय है और कौन सबसे बेहतर उम्मीदवार हो सकता है यह परिदृश्य तो निश्चित तौर पर सामने आया ही होगा।
• देवी अहिल्या और लालबाग को लेकर सुमित्रा महाजन का जो समर्पण भाव है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। इन दोनों पर ज्यादा से ज्यादा काम है इसके लिए ताई हमेशा मुखर रहती है। मध्य प्रदेश सरकार इंदौर में देवी अहिल्या का बड़ा और भव्य स्मारक रामपुर कोठी यानी पुराने आरटीओ ऑफिस पर बनाने जा रही है। इसी तरह लालबाग को और व्यवस्थित आकार देने का काम भी शुरू होने वाला है। सरकार के इन फैसलों की जानकारी देने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पिछली इंदौर यात्रा के दौरान सुमित्रा महाजन के पास पहुंचे और उनसे यह भी कहा कि इन दोनों विषयों पर आपका बहुत गहन अध्ययन है आप इसमें हमारा मार्गदर्शन भी करें। मुख्यमंत्री का संकेत साफ था की जैसा ताई चाहेंगी वैसा ही होगा।
• उनके इस अंदाज पर कोई कुछ भी कहे लेकिन मैदान में बिजली मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की उपस्थिति का असर तो देखने को मिलने लगा है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि यदि मंत्री मैदान में रहेंगे तो व्यवस्था हेतु सुधरेंगीं। मंत्री की सख्ती और सक्रियता का असर यह हुआ है कि अब बिजली कंपनियों के अफसर और मैदानी अमला, चाहे मेंटेनेंस का मामला हो चाहे मनमाने बिजली बिलों का या फिर नए कनेक्शनों का, बेहद सतर्क हो गए हैं और शिकायत मिलते ही निराकरण में लग जाते हैं। मंत्री जी का फार्मूला अच्छा है की अपन मैदान में उतरेंगे तो अमला मुश्किल रहेगा, जनता खुश रहेगी तो सरकार की छवि तो सुधर ही जाएगी।
• कांग्रेस के दो नेता मीडिया महासचिव केके मिश्रा और मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा जिस अंदाज में मुख्यमंत्री, सरकार और भाजपा पर बरसते हैं उसकी इन दिनों भाजपा में भी बड़ी चर्चा है। यह दोनों नेता सरकार या संगठन की घेराबंदी का कोई मौका हाथ से नहीं निकलने देते हैं। इनके बयान और ट्वीट त्वरित और बेहद आक्रमक रहते हैं। चर्चा तो यह भी है कि नेताओं की लंबी फौज और संसाधनों की कोई कमी ना होने के बावजूद आखिर गिने चुने भाजपा नेता ही क्यों सरकार की तरफ से हमले बोलते हैं या बचाव के लिए सामने आते हैं। पार्टी महासचिव और मध्य प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव की मौजूदगी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले में अपनी पीड़ा का इजहार भी कर चुके हैं।
• मध्यप्रदेश में फिर तबादला महोत्सव शुरू हो गए हैं। इकबाल राज में किससे कहा मौका मिलेगा यह तो कोई कहने की स्थिति में ही नहीं है। चर्चा का विषय तो यह है कि मंत्रियों की चलेगी या नौकरशाही ही हावी रहेगी। इसका एक बड़ा कारण पूरे सिस्टम में भयंकर संवादहीनता को माना जा रहा है। इसका असर मंत्रालय से लेकर जिलों तक देखा जा रहा है आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है आखिर इस संवादहीनता को तोड़ने के लिए सत्ता के शीर्ष से कोई पहल क्यों नहीं हो रही है। कैबिनेट की बैठकों में मंत्रियों और आला अफसरों के बीच होने वाली झड़प हो गई इसी संवाद हीनता का नतीजा माना जा रहा है। मंत्रालय के गलियारों में चर्चा की अबोलेपन के कारण उपजी भड़ास आखिर कहीं तो निकलेगी।
• प्रदेश के 4 संभाग में और एक दर्जन से ज्यादा जिलों में कमिश्नर और कलेक्टर बदले जाने की चर्चा के बीच मंत्रालय के कई विभागों में बड़े बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। नीतेश व्यास के प्रतिनियुक्ति पर चुनाव आयोग में जाने के बाद नगरीय प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण महकमे में मनीष सिंह ही प्रमुख सचिव के रूप में बरकरार रहेंगे या किसी और को मौका मिलेगा इस पर सबकी नजरें है। संजय दुबे और संजय शुक्ला की अदला बदली हो सकती है। सुखबीर सिंह, देवेंद्र पाल आहूजा,विवेक पोरवाल, श्रीमंत शुक्ला और निशांत वरवड़े नई भूमिका में दिख सकते हैं। ग्वालियर और जबलपुर के कलेक्टर बदले जाना भी तय सा है।
चलते चलते
चंबल जोन के आईजी का पद खाली हो गया है और योगेश देशमुख उज्जैन के एडीजी पद पर रहने के इच्छुक नहीं है। इनके अलावा शहडोल में भी नया आईजी की पदस्थापना होना है। 10 से ज्यादा जिलों में एसपी बदले जाना है। कुछ एसपी तो हालात के मद्देनजर खुद जिलों से हटना चाहते हैं। दावेदारों ने जमावट शुरू कर दी है। देखते हैं किसे कहां मौका मिलता है।
पुछल्ला
सत्ता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वजन का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों कुछ विधायक एक एसपी के तबादले को लेकर मुख्यमंत्री से मिले। मुख्यमंत्री ने उनकी बात को सुना और उनके जाने के बाद उस जिले से संबद्ध संघ के विभाग प्रचारक को फोन करके हकीकत जानने की कोशिश की।
अब बात मीडिया की
• दैनिक भास्कर के डिजिटल डिवीजन को अलविदा कह चुके वरिष्ठ पत्रकार विभाग साने जल्दी ही देश के किसी बड़े डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे। उनका नया दायित्व बहुत चौंकाने वाला हो सकता है।
• राजनीति और नौकरशाही से जुड़े मामलों में मजबूत पकड़ रखने वाले भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार नितेंद्र शर्मा अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अहम भूमिका में दिखाई देंगे। नितेंद्र ने फ्री प्रेस को अलविदा कहने का निर्णय ले लिया है और वे जल्दी ही न्यूज़ स्टेट मैं दिखेंगे ।
• इंदौर के सांध्य दैनिक खुलासा फर्स्ट के प्रकाशन का एक साल पूरा हो गया है। इस अखबार ने इंदौर में कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अखबार को अपने तीखे तेवर और अलग अंदाज के लिए जाना जाता है। इसका श्रेय अखबार के संपादक अंकुर जायसवाल और उनकी पूरी टीम को जाता है।
• पंकज मुकाती के अखबार पॉलिटिक्स वाला के पिछले 2 अंक जबरदस्त चर्चा में रहे हैं। दिल्ली और भोपाल में इन्हें हाथों हाथ लिया गया। देश की राजनीति पर बखूबी लिखने वाले कई दिग्गजों की कलम इस अखबार में नियमित तौर पर चलने लगी है।
• इंदौर मैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दो बड़े नाम ललित शर्मा और रोहित मिश्रा अब साधना न्यूज़ मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से जुड़ गए हैं। यह अभी तक डिजीआना न्यूज़ में सेवाएं दे रहे थे।