राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी : संघ का संघर्ष और सत्ता का मुकाम

Share on:

अरविंद तिवारी

मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता बहुत बढ़ गई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत तो लगातार प्रदेश का दौरा कर ही रहे हैं, संघ से जुड़े तीन और दिग्गज शिवप्रकाश जायसवाल, अजय जामवाल और मुरलीधर राव भी रात-दिन एक किए हुए हैं। इस बढ़ी हुई सक्रियता का कारण यह है कि पिछले दिनों संघ ने जो सर्वे करवाया, उसमें मध्यप्रदेश में सत्ता हाथ से जाने के संकेत मिले हैं। इसका कारण भारी भ्रष्टाचार, नौकरशाही का हावी होना, मंत्री, विधायक और पार्टी के जिम्मेदार लोगों का नौकरशाहों के साथ गठबंधन तथा कार्यकर्ताओं में निराश्य भाव बताया जा रहा है। देखते हैं मददगार की भूमिका में आने के बाद संघ का संघर्ष भाजपा को सत्ता का मुकाम दिलवा पाता है या नहीं।

ऊपर नीचे होने लगी है दिग्गजों की सांसें

विधानसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमाने की बाट जोह रहे भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों की सांसें ऊपर नीचे होने लगी है। ये वे दिग्गज हैं जो दोनों दलों में अहम भूमिका में हैं और ये मानकर चल रहे हैं कि उनकी ही पार्टी को सत्ता में आने का मौका मिलेगा। परेशानी दूसरी है, मंत्री रहते हुए या विपक्ष में बड़ी भूमिका निभाते हुए ये नेता जमीन से कटने लगे थे, और अपने विधानसभा क्षेत्र में इनका आधार दरक गया है। अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, विधानसभा क्षेत्रों में इन नेताओं की सक्रियता बढ़ती जा रही है। मुक्तहस्त से खर्च करने के साथ ही सुख-दु:ख में सहभागी बनने लगे हैं और उन लोगों के यहां दस्तक दे रहे हैं, जो इनकी हार-जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

शिवराज की रणनीति और भाजपा का वार रूम

विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की टीम ने तो मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निवास पर मैदान संभाल लिया है। यह टीम इलेक्शन स्ट्रेटजी पर काम शुरू कर चुकी है और इसमें मुख्य भूमिका इंदौर के निशित शरण निभा रहे हैं। शरण पहले भी भाजपा के मुख्य रणनीतिकार रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर भाजपा का वार रूम कब शुरू होगा? ठीक वैसा ही वार रूम जो 2003 के चुनाव के डेढ़ साल पहले अनिल दवे की अगुवाई में शुरू हुआ था और तब से लेकर अभी तक के हर विधानसभा चुनाव के सालभर पहले काम करना शुरू कर देता है। वैसे वार रूम के विशेषज्ञ माने जाने वाले दोनों दिग्गज अनिल दवे और विजेश लुणावत अब इस दुनिया में नहीं हैं।

कहें कुछ भी पर नेता तो कमलनाथ को मान ही लिया है

दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह भले ही अलग-अलग जगह, अलग-अलग बात कहें, पर सबने यह तो मान ही लिया है कि मध्यप्रदेश में उनके नेता कमलनाथ ही हैं। यही कारण है कि जो कमलनाथ कहते हैं, उसे अन्त में सब मान ही लेते हैं। पिछले दिनों क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपने के उनके फैसले को इसी के चलते सबने चुपचाप स्वीकार कर लिया। दरअसल मैदानी सक्रियता के अलावा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा वित्तीय प्रबंध और मैनेजमेंट का है और इस मामले में सबकी निर्भरता कमलनाथ पर ही है। यह काम आसान नहीं है और इसी मोर्चे पर मजबूती ने कमलनाथ को मजबूत कर रखा है।

पटरी से उतरी नेताजी की हवाई ट्रेन

तेज रफ्तार वंदेभारत ट्रेन इंदौर और रीवा के बीच चलाने की कोई अधिकृत घोषणा नहीं की पर इंदौर से लेकर रीवा तक नेताओं ने हवा-हवा में यह ट्रेन दौड़ा दी। इन नेताओं में इंदौर के बेहद उत्साही सांसद शंकर लालवानी भी शामिल हैं। अब इस मुद्दे पर लालवानी और रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा की खूब किरकिरी हो रही और रेलवे के अधिकारी जवाब देते-देते थक गए कि अभी यह ट्रेन चलाने की कोई तारीख नहीं आई है। बता दें कि वंदेभारत ट्रेन पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अब इस मामले में की गई हवा-हवाई पर ऊपर की नाराजगी का शिकार किसे कितना होना पड़ता हैं यह तो समय ही बताएगा।

बुंदेलखंड के 1 जिले में कलेक्टर विधायक की जुगलबंदी

किसी जिले में नेता और अफसर की जुगलबंदी हो जाए तो दोनों की ही बल्ले-बल्ले। बुंदेलखंड के एक जिले में इसका उदाहरण भी देखने को मिल रहा है। यहां एक विधायक और कलेक्टर की जमकर पट रही है और इतनी पट रही है कि दोनों मिलकर एक संयुक्त उपक्रम की स्थापना करने जा रहे हैं। यह उपक्रम एक होटल की शक्ल में होगा और जल्दी ही आकार ले लेगा। जुगलबंदी वाले विधायक और कलेक्टर यहीं नहीं रुकने वाले हैं, ये आगे भी मिलकर ही काम करेंगे। अब इनकी जुगलबंदी के कारण किसी को परेशान होना पड़े तो उसका हम क्या कर सकते हैं।

पहले ही दौरे में हो गया राघवेन्द्र गौतम के दबदबे का अहसास

काम के बोझ में दबे होने के कारण भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी इंदौर संभाग का प्रभारी होने की भूमिका के साथ न्याय नहीं कर पा रहे थे। इसका असर इंदौर संभाग के जिलों के कामकाज में देखने को मिल रहा था और कुछ जिलाध्यक्ष स्वछंद हो गए थे। अब यह भूमिका राघवेन्द्र गौतम को दे दी गई है, जो संघ के प्रियपात्र होने के साथ ही वीडी शर्मा और हितानंद के भी खासमखास हैं। उनके दबदबे का अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे पहली बार इंदौर आए तो इंदौर भाजपा के सारे दिग्गज उनकी अगवानी में पलक पावड़े बिछाकर खड़े थे। वैसे गौतम स्वछंदता को पसंद नहीं करते हैं और नकेल कसने में भी पीछे नहीं रहते हैं।

चलते-चलते

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की भाव-भंगिमा ने इन दिनों कई चर्चाओं को जन्म दे रखा है। मुख्यमंत्री से मिलने वाले यह कहते सुने जा रहे हैं कि शिवराज तो ऐसे नहीं थे। हमेशा लोगों से गर्मजोशी से मिलने और आत्मिक संवाद करने वाले मुख्यमंत्री इन दिनों गुमशुम से रहते हैं। उनसे मिलने वाले मंत्री, सांसद और विधायक भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

पुछल्ला

मध्यप्रदेश दुग्ध संघ के एक अफसर अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उसी अंदाज में काम कर रहे हैं, आखिर ऐसा क्यों? दरअसल विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा इस अफसर पर बहुत मेहरबान हैं। यही कारण है कि दस्तावेजों पर सबकुछ सामने आने के बाद भी बामरा उक्त अफसर को बचा रहे हैं और यह उन्हीं का प्रताप है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी दागी अफसर की हैसियत बरकरार है।

अब बात मीडिया की

ख्यात टीवी पत्रकार रजत शर्मा ने इंदौर में भास्कर उत्सव के कार्यक्रम में शिरकत करते हुए जिस अंदाज में डॉ. भरत अग्रवाल का उल्लेख किया, वह भास्कर समूह में डॉ. अग्रवाल के दबदबे और देश के बड़े पत्रकारों से उनके संबंधों का अहसास करवाता है। आखिरकार नवीन यादव नहीं माने और नईदुनिया को अलविदा कह ही दिया। स्टेट एडीटर सद्गुरुशरण ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की थी। नवीन ने नईदुनिया से मुक्ति पाने के पहले बड़ा धमाका कर दिया। उन्होंने संस्थान के वाट्सएप ग्रुप पर जो विदाई पत्र लिखा, वह कइयों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।

यह पत्र इन दिनों जागरण नईदुनिया समूह में हलचल मचाए हुए है। दैनिक भास्कर में आशुतोष मिश्रा गिरीश अग्रवाल की कोर टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे गिरीश जी से जुड़ी अखबारी जिम्मेदारियों के निर्वहन में देशभर में सक्रिय रहेंगे।वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र जैन का डिजिटल प्लेटफॉर्म सबकी खबर दिन-ब-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है। बहुत कम समय में इसे एक नया मुकाम हासिल हुआ है। युवा पत्रकार स्वतंत्र शुक्ला अब भास्कर डिजिटल टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे पहले डिजियाना न्यूज में प्रशिक्षु पत्रकार थे और बाद में ईटीवी में सेवाएं दे रहे थे।