राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

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अरविंद तिवारी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो सबकी सुनते हैं और सबके साथ तालमेल जमा कर चलने में भरोसा रखते हैं। चाहे वह उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी हो या फिर संगठन के दिग्गज या नौकरशाह लेकिन न जाने क्यों ध्वनि यह निकलने लगती है कि अंततः होता वही है जैसा नौकरशाह चाहते हैं। छनकर जो बात सामने आ रही है उससे तो ऐसा लग रहा है कि 1-2 दिग्गज मंत्रियों, कुछ संगठन के कर्ताधर्ताओं और आधा दर्जन नौकरशाहों ने सुनियोजित तरीके से यह प्रचारित करवा रखा है कि हम कुछ भी कर लें होगा वही जो ‘बड़े साहब’ चाहेंगे।

कई और कारण भी हो सकते हैं, लेकिन दिलीप बिल्डकॉन के कर्ता-धर्ता देवेंद्र जैन के यहां केंद्रीय एजेंसियों के छापे को मध्य प्रदेश काडर की एक सीनियर आईएएस और वर्तमान में एनएचएआई की चेयरमैन अलका उपाध्याय की नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। उपाध्याय जब मध्यप्रदेश में निर्माण से जुड़े एक संस्थान के सर्वेसर्वा थी, तब दिलीप बिल्डकॉन के शिखर पुरुष से उनकी किसी मुद्दे पर भिड़ंत हो गई थी। गौरतलब है कि दिलीप बिल्डकॉन एनएचएआई के कई प्रोजेक्ट के ठेकेदार हैं।

ग्वालियर में स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा जिस ताम-झाम से हुई और भाजपा नेताओं को वहां जिस तरह मंच सौंपा गया उससे संघ के दिग्गज वी. भगैया बहुत नाराज हैं। दरअसल ग्वालियर के इस आयोजन की कमान मंच के जिन लोगों के हाथ में थी, उन्होंने केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही स्थानीय भाजपा नेताओं को बहुत ज्यादा तवज्जो दी। इस तरह के आयोजन में भाजपा नेताओं को कभी भी मंच पर मौका नहीं दिया जाता है, वे सामने दर्शक या श्रोता की भूमिका में ही नजर आते रहे हैं, लेकिन इस बार हर सत्र में भाजपा नेता मंच पर आसीन दिखे। इसके पीछे आयोजकों में से कुछ की बड़ी भूमिका रही। अब भगैया की नाराजगी के बाद आने वाले आयोजन फिर पुराने स्वरूप में आते नजर आएंगे।

मुख्यमंत्री के रूप में चाहे शिवराज सिंह चौहान का पिछला कार्यकाल रहा हो या फिर 15 महीने का कमलनाथ का दौर। वरिष्ठ आईएएस अफसर अशोक वर्णवाल की हमेशा तूती बोलती रही, लेकिन इन दिनों वर्णवाल के सितारे गर्दिश में हैं। पिछले दिनों उन्हें मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की नाराजगी का भी शिकार होना पड़ा। दरअसल मुख्य सचिव ने वर्णवाल से कोई महत्वपूर्ण जानकारी मांगी थी। वर्णवाल ने इसे हलके में लेते हुए तैयार जानकारी मुख्य सचिव को वाट्सएप पर भेज दी। व्यस्तता के चलते मुख्य सचिव इसे विलंब से देख पाए। देखने के तत्काल बाद उन्होंने फोन पर वर्णवाल को जमकर फटकारा और कहा कि आपको खुद यह जानकारी लेकर मेरे पास आना था। यहां यह बताना जरूरी है कि जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, तब मंत्रियों और विधायकों को वर्णवाल से मिलने के लिए पर्ची भेजना पड़ती थी।

जनसंपर्क आयुक्त और विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में वरिष्ठ आईएएस अफसर राघवेंद्र सिंह की पदस्थापना आने वाले समय में ‘सरकार’ के मीडिया से सकारात्मक संबंधों की दिशा में ही एक पहल मानी जा सकती है। सिंह की गिनती उन आईएएस अफसरों में होती है, जिनका पीआर बहुत स्ट्रांग माना जाता है और जो केवल संबंध बनाने में ही नहीं, उन्हें पूरी शिद्दत से निभाने में भरोसा रखते हैं। वे जहां भी पदस्थ रहे हैं, उन्हें इसका पूरा फायदा मिला। माना यह जा रहा है कि सरकार और मीडिया के बीच लगभग अबोलेपन की स्थिति सिंह के इस पद पर आने के बाद समाप्त होगी। इस दिशा में नए जनसंपर्क आयुक्त ने काम भी शुरू कर दिया है। जनसंपर्क विभाग के सारे शक्ति केंद्रों को भी उन्होंने एकसूत्र में पिरोना शुरू कर दिया है।

इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद कई आईपीएस अफसरों को उम्मीद थी कि उन्हें इंदौर या भोपाल में आईजी देहात के रूप में काम करने का मौका मिल जाएगा। इसके लिए जोड़-तोड़ भी शुरू हो गई थी और राजनीतिक स्तर से भी दबाव बनाए जाने लगे थे। अनेक दिग्गजों के इस पद की दौड़ में होने के बाद भी आखिरकार फैसला शानदार मैदानी कैरियर वाले पुलिस की खूफिया शाखा में आईजी की भूमिका निभा रहे उज्जैन के पूर्व आईजी राकेश गुप्ता और भोपाल में डीआईजी के रूप में लंबी पारी खेल चुके इरशाद वली को मिला। आईजी बनने में नाकाम रहे अफसर अब यह पता लगाने में लगे हैं कि आखिर ऐसा कौनसा पव्वा इन अफसरों ने लगाया कि दूसरे चारों खाने चित्त हो गए। वैसे यह नहीं भूलना चाहिए कि काम बोलता है

यह कोई समझ नहीं पा रहा है कि आखिर क्यों मुख्यमंत्री की पसंद माने जा रहे बिट्टू सहगल और गृहमंत्री के पसंदीदा शशिकांत शुक्ला के बजाय केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बहुत नजदीकी दिलीप सिंह तोमर अंततः उप परिवहन आयुक्त बनने में कामयाब हो गए। कहा जा रहा है कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भाजपा के दो दिग्गजों के बीच संतुलन साधने के लिए इस बार तोमर की पसंद को तवज्जो दी गई है। वैसे परिवहन महकमे में आयुक्त मुकेश जैन ज्योतिरादित्य सिंधिया के पसंदीदा हैं तो अपर आयुक्त मुख्यमंत्री के बेहद नजदीकी। अब तोमर के रूप में यहां केंद्रीय मंत्री के पसंदीदा अफसर भी काबीज हो ही गए।

चलते चलते|

भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत की पसंद के चलते इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए जयपाल सिंह चावड़ा ने सबसे पहले उन लोगों को साधना शुरू किया है जो उनके संभागीय संगठन मंत्री रहते हुए भी पार्टी में उनके खिलाफ अक्सर मोर्चा खोल लेते थे। वैसे अपनी नई पारी में चावडा कुछ बदले बदले से भी हैं।

पुछल्ला

झाबुआ अलीराजपुर की कांग्रेस राजनीति में कांतिलाल भूरिया और महेश पटेल के आमने सामने होने से सबसे ज्यादा फजीहत युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया की हो रही है।

अब बात मीडिया की

पंजाब और राजस्थान में आर्थिक अनियमितता करने वाले संपादकीय और मार्केटिंग टीम के कई लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने वाले दैनिक भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल ने इंदौर संस्करण के एक सीनियर रिपोर्टर के बारे में भी आखिरकार कड़ा निर्णय ले लिया। इंदौर की रिपोर्टिंग टीम के कामकाज में भी जल्दी ही बदलाव होगा।

ज़ी टीवी के मध्य प्रदेश प्रभारी रहे दिलीप तिवारी किसी बड़े समूह के साथ मिलकर कोई नया वेंचर लाने की तैयारी में है ।

नए साल मैं दैनिक भास्कर का सबसे ज्यादा जोर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म पर रहेगा पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संपादकों से रूबरू हुए सुधीर अग्रवाल ने अब इसी पर सबसे ज्यादा काम करने की बात कही।

अपने डिजिटल डिवीजन का विस्तार कर रहे दैनिक भास्कर समूह में जल्दी ही कुछ रिपोर्टरों की नियुक्ति होने वाली है।