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Ayushi
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अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं – मध्यप्रदेश के उप चुनाव में कांग्रेस के बाद कमलनाथ के नेतृत्व पर बड़े सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं। कमलनाथ की वरिष्ठता के कारण कोई खुलकर भले सामने ना आये लेकिन दिल्ली दरबार में उनके फैल्युअर की कहानियां पहुंचने लगी हैं। उनकी टीम, उनके सिस्टम पर बड़े सवाल हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए सत्ताधारी पार्टी के 22 विधायक चले गये और मैनेजमेंट में माहिर कमलनाथ कुछ ‘मैनेज’ नहीं कर सके। दूसरा उपचुनाव के नतीजों को लेकर किस कारण से कमलनाथ इतने ‘अति आत्मविश्वास’ में थे ? 2018 में जब कमलनाथ को मध्यप्रदेश की कमान दी गई थी तब ये बड़ा हल्ला था कि उनकी कारपोरेट स्टाइल की राजनीति मीडिया मैनेजमेंट और केम्पेन को प्रभावी बनाकर कांग्रेस का नैरेटिव सुधारेगी, लेकिन जमीन पर ऐसा दिखा नहीं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आये तमाम नेता अपने भविष्य को लेकर थोड़ा चिंतित होने लगे हैं। असल में सिंधिया के दफ्तर और बीजेपी दोनों जगह विधायकों की तो सुनवाई है; लेकिन कांग्रेस में वरिष्ठता रखने वाले प्रमोद टंडन, राजेन्द्र भारती, केके सिंह कालूखेड़ा, योगेंद्र लुम्बा, विजेंद्र सिंह मालाखेड़ा, विपिन खुजनेरी, मुकेश काला, परमजीत सिंह नारंग निमेष व्सास जैसे नेताओं की लंबी सूची है जो अब चाहते हैं कि सिंधिया अब विधायकों से निकलकर उनके राजनैतिक समायोजन पर भी ध्यान दें।

एक केंद्रीय एजेंसी के दस्तावेज में खुलासा होने के बाद कांग्रेस के साथ ही सत्ता के दिग्गज यह पता लगाने में लगे हैं कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के वह कौन नेता है जिन्होंने एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए 1 साल की अवधि में दो हजार से ज्यादा बार, यानि 1 दिन में 6 बार अपनी एक महिला मित्र से मोबाइल पर बात की। लोगों की रुचि नेताजी से ज्यादा उनकी महिला मित्र का नाम पता करने में है। वैसे छनकर बातें सामने आने लगी हैं और निगाहें श्यामला हिल्स पर ही केंद्रित होती दिख रही हैं।

यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इंदौर के नारायण बाग क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नया प्रांतीय कार्यालय जल्दी ही आकार लेने लगेगा। संघ के पास क्षेत्र में करीब 70000 स्क्वायर फीट का एक भूखंड है और इसके 10000 स्क्वायर फीट एरिया पर 35000 स्क्वायर फीट निर्माण कर एक भव्य दफ्तर बनाया जाएगा, इस पर करीब 8 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इमारत निर्माण के लिए संघ ने अपनों के बीच ही धन संग्रह की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है और संघ के प्रति निष्ठावान लोग मुक्त हस्त से सहयोग कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तब विनय बाकलीवाल कई बार तो दिन में दो बार भोपाल के चक्कर लगा लेते थे। वे करते भी क्या तब उनकी पूछ परख भी बहुत ज्यादा थी। अब भले ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं है लेकिन निकट भविष्य में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव की संभावना से बाकलीवाल की कुछ तो पूछ परख हो रही है। इंदौर तो ठीक है मालवा निमाड़ के कई जिलों के कांग्रेसी इन दिनों टिकट की आस में बाकलीवाल के इर्द-गिर्द मंडराते देखे जा सकते हैं। मामला छात्र राजनीति का रहा हो या कांग्रेस की राजनीति का कुछ भी कहो विनय सेठ शुरू से ही किस्मत के तो धनी हैं।

जल संसाधन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहते हुए कांग्रेस के फंड राइजर बने पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी ने जिस तरह अनिल जैन और मुकेश श्रीवास्तव को उपकृत किया वह आने वाले समय में उनके लिए नुकसान का सौदा साबित होने वाला है। इस मामले से जुड़े दस्तावेज एक केंद्रीय एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिए हैं। श्रीवास्तव तो पहले से ही ईडी और इनकम टैक्स के राडार पर हैं। कांग्रेस के मध्यप्रदेश में सत्ता में रहते हुए श्रीवास्तव ने माध्यम को माध्यम बनाते हुए जो खेल किए वह कुछ अफसरों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकते हैं।

कांग्रेस के सत्ता में रहते एडीजी एस डब्ल्यू नकवी का बड़ा जलजला था। नकवी उस दौर में कई मौकों पर डीजीपी से ज्यादा ताकतवर भी दिखे। अब बदले राजनीतिक दौर में नकवी लूप लाइन में हैं और पूछ परख भी कम हो गई है। उनका शानदार रिकॉर्ड रहा है और उन्होने फील्ड पोस्टिंग का सुख भी खूब उठाया। देखना यह है कि सत्ता के नए दौर में निकट भविष्य में इनकी भूमिका में कोइ बदलाव भी आता है या नहीं। फिलहाल तो इसकी संभावनाएं कम ही दिख रही हैं।

संजीव शमी एक अलग मिजाज के ही अफसर हैं जिस पद पर रहते हैं उसे एक अलग पहचान दे देते हैं। इंदौर में एसएसपी रहते हुए उन्होंने अच्छे-अच्छे दिग्गजों को यह एहसास करा दिया था कि आखिर पुलिस कप्तान का रुतबा क्या होता है। अभी वह पुलिस मुख्यालय में एडीजी चयन के पद पर पदस्थ हैं। निकट भविष्य में बहुत बड़ी संख्या में पुलिस विभाग में नई भर्तियां होना है और इन भर्तियों में सरकार का पैसा खर्च ना हो इसका पुख्ता इंतजाम शमी ने कर दिया है। भर्ती परीक्षा भले ही व्यापम के माध्यम से हो रही है लेकिन उम्मीदवारों से जो शुल्क व्यापम लेगा उसका एक हिस्सा भर्ती की आगे की प्रक्रिया के लिए पुलिस को भी मिलेगा। ऐसा पहली बार हो रहा है, नहीं तो यह खर्च भी पुलिस को ही उठाना पड़ता था।

चलते चलते

इंदौर के 9 थानों के टीआई हाल ही में हुए फेरबदल में बदल दिए गए। जरा पता करिए कि इस फेरबदल में पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट,आईजी योगेश देशमुख या डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्रा में से किसकी ज्यादा चली।

पुछ्ल्ला

भोपाल के डीआईजी इरशाद वली की पोस्टिंग में फेरबदल की बात जोरों पर है। देखते हैं मौका सचिन अतुलकर को मिलता है या किसी दूसरे अफसर को। वैसे अतुलकर का दावा इंदौर के डीआईजी पद के लिए भी है।

अब बात मीडिया की

• जयपुर के मोह में बंधे लक्ष्मी प्रसाद पंत को दैनिक भास्कर पत्र समूह वहीं रखकर 3 राज्यों का प्रभारी बना सकता है पर इसमें मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल नहीं रहेंगे।

• लगातार नकारात्मक रवैया अख्तियार करने के कारण दैनिक भास्कर के प्रबंधन ने स्टेट एडिटर होने के बावजूद अवनीश जैन को भास्कर इंदौर के कामकाज में किसी तरह का हस्तक्षेप न करने के स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं।

• नईदुनिया इंदौर के संपादक सद्गुरु शरण ने इंदौर संस्करण के संपादकीय साथियों का व्हाट्सएप ग्रुप नए सिरे से बनवा दिया है। इसके पीछे उनका मकसद कुछ लोगों को इस ग्रुप से अलग करने का था।

• डीएनएन के बाद अब डिजीआना समूह का सेटेलाइट चैनल न्यूज़ वर्ल्ड भी जल्दी ही नए कलेवर में दिखेगा।

• इस बात की बड़ी चर्चा है कि विनय छजलानी ने जागरण समूह को नईदुनिया-नवदुनिया के मध्यप्रदेश संस्करण खरीदने का ऑफर दिया है।

• वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने खुलासा फर्स्ट अखबार को बाय बाय कह दिया है। अब वे स्वतंत्र लेखन में पूरा समय देंगे।

•  पत्रिका ग्रुप के दो सक्रिय रिपोर्टर रणवीरसिंह कंग और लखन शर्मा अब खुलासा फ़र्स्ट से जुड़ गए है।