अहमद पटेल के इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद अब कांग्रेस में कमलनाथ की जिम्मेदारी बढ़ी हुई है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी उनका पूरा उपयोग कर रही। मामला राजस्थान का हो या पंजाब का या फिर शरद पवार से विपक्ष की अंदरुनी राजनीति को समझने का हर जगह कमलनाथ जी कांग्रेस अध्यक्ष के दुत की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। मैनेजमेंट के मास्टर कमलनाथ के बारे में यह कहा जाता है कि कांग्रेस में उनके जैसे 2-4 ही नेता है जिनकी बात को अभी भी गंभीरता से लिया जाता है। हालांकि कमलनाथ बार-बार यह कहते हैं कि वे दिल्ली नहीं जा रहे हैं और भोपाल में ही रहकर पार्टी को मजबूत करेंगे।
पता नहीं क्यों भाजपा के कद्दावर नेता और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश के प्रगाढ़ संबंधों को इन दिनों मध्यप्रदेश में प्रमुखता से रेखांकित किया जा रहा है। हालांकि सत्ता और संगठन में फिलहाल तो इसका कोई असर नजर नहीं आता लेकिन किसी संभावित स्थिति की आहट तो होने लगी हैं। दोनों दिग्गजों के बीच गजब का तालमेल है और जब से मध्य प्रदेश भाजपा के सूत्र शिव प्रकाश के हाथों में केंद्रित हुए हैं विजयवर्गीय की सक्रियता भी प्रदेश में पड़ गई है। बहरहाल इस गठजोड़ ने विजयवर्गीय से जुड़े नेताओं की उम्मीदें तो बढ़ा दी है।
कैबिनेट की बैठक और मुख्यमंत्री व मंत्रियों के बीच वन टू वन के लिए लिए सीहोर के नजदीक एक होटल में एकत्र हुए मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बहुत बेबाकी से अपनी बात रखी। एक वरिष्ठ मंत्री ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच फर्क को प्रमुखता से रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे यहां सरकार एक से बढ़कर एक काम कर रही है जिसका फायदा सीधा जनता को मिल रहा है। लेकिन हम इसका प्रचार प्रसार ठीक से कर ही नहीं पाते है। कई और मंत्रियों ने भी इस बात से सहमति जताई। मुख्यमंत्री ने सभी को सुना और इतना भर कहा कि जल्दी ही इसमें सुधार होगा। देखना यह है कि यह सुधार प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी वाले विभाग ठं के वर्तमान मुखिया की अगुवाई में ही होगा या फिर किसी और को मौका मिलेगा। वैसे इस विभाग में गाहे-बगाहे आउटसोर्सिंग की बात तो चलती ही रहती है।
प्रदेश भाजपा के सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा इन दिनों जिस तरह से सक्रिय है उससे ऐसा लगता है कि आसाम चुनाव के बाद प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत चीज़ बड़ी और नई जिम्मेदारी के पहले आराम की मुद्रा में है। संगठन से जुड़े रोजमर्रा के मामलों में निर्णय शर्मा की देखरेख में हो रहे हैं। सत्ता और संगठन के बीच वे अहम कड़ी हो गए हैं। पार्टी पदाधिकारियों व संगठन मंत्रियों के कामकाज पर उनकी निगाहे रहती हैं। जिम्मेदार लोग भी अब उनसे मार्गदर्शन लेने पहुंचने लगे है। कहीं यह सब आने वाले समय की किसी नई जिम्मेदारी का संकेत तो नहीं है।
इस बार भाजपा के आईटी सेल से शिवराज डाबी की रवानगी तय नजर आ रही है। वे पहले भी कई बार नेतृत्व के निशाने पर आ चुके हैं पर इस बार मामला ज्यादा गंभीर है। प्रदेश कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक के पहले जिस अंदाज में प्रभारी महासचिव मुरलीधर राव ने आईटी सेल के कामकाज पर नाराजगी जाहिर की उससे तो यही लग रहा है कि डाबी के दिन अब लद गए। राव ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के टि्वटर अकाउंट का जो उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में आईटी टीम के सामने रखा उससे सबकी आंखें फटी रह गई। राव का रुख देखने के बाद मुख्यमंत्री ने भी मौके पर ही अपने दिल की बात कह दी और प्रभारी महासचिव से सहमति जताते नजर आए।
बहुत कम समय मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव रहे एम गोपाल रेड्डी के खासम खास एक शख्स को देखकर प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री आखिर क्यों विचलित हो जाते हैं। दरअसर मामला साल भर पहले हुए एक बडे लेनदेन से जुड़ा हुआ है। मंत्री जी ने इस व्यक्ति को बड़ा फायदा पहुंचाने का झुनझुना थमा कर यह लेनदेन कर लिया था। जब काम नहीं हो पाया तो तो यह व्यक्ति अपनी अमानत की वापसी की दरकार में रोज मंत्री जी के यहां चक्कर लगाने लगा। अब हालत यह है कि मंत्री जी उससे मिलने मे भी कतराने लगे हैं और यदि आमना-सामना हो भी जाए तो देखते ही गाड़ी में बैठ कर निकल जाते हैं।
शांत स्वभाव के और अपने काम के प्रति बेहद ईमानदार मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी यदि किसी कलेक्टर पर बुरी तरह बिफर पडे तो समझ लेना चाहिए कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है। रस्तोगी ने पिछले दिनों होशंगाबाद कलेक्टर धनंजय सिंह भदौरिया को उनके कामकाज के तरीकों को लेकर जमकर फटकारा। वहां के जनप्रतिनिधि पहले ही कलेक्टर से खुश नहीं। देखना अब यह है कि इस सब के बावजूद भदोरिया जो कि भिंड के बसपा विधायक संजीव सिंह के बहनोई और पूर्व सांसद डॉ राम लखन सिंह के दामाद है, की सेहत पर कोई असर पड़ता है या नहीं।
चलते चलते
आने वाले समय में पुलिस के दो आला अफसर अशोक दोहरे और विजय यादव सेवानिवृत्त होने वाले है। इसके बाद डीजी होमगार्ड और चेयरमैन पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन जैसे अहम पदों के लिए किसे मौका मिलता है इस पर सबकी नजर है। वैसे संतुष्ट तो अन्वेषमंगलम भी अपनी वर्तमान पदस्थापना से नहीं है।
पुछल्ला
प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों में कलेक्टरों की पदस्थापना में संभावित फेरबदल ने मंत्रालय में समय काट रहे कई अफसरों की उम्मीद जगा दी है। जिला पाने की
उनकी कोशिश कितनी परवान चढ पाएगी यह तो मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के रुख पर ही निर्भर करेगा।