अरविंद तिवारी
बात शुरू करते हैं यहां से
सत्ता में अपनी वापसी को लेकर कमलनाथ गज़ब का कॉन्फिडेंस दिखा रहे हैं। उपचुनाव के नतीजों पर बात करो तो जवाब देने के बजाय सवाल यह करने लगते हैं कि भाजपा यह तो बताए कि वह कौन सी चार सीटें जीत रही है। अपनी टेबल पर रखी सर्वे रिपोर्ट की ओर इशारा करते हुए वे कहते हैं पब्लिक मेरे साथ है और वही कांग्रेस को सत्ता मे वापस लाएगी। अपने इस कॉन्फिडेंस का राज तो कमलनाथ ही बता सकते हैं पर उनके सामने हां में हां मिलाने वाले उन्हीं की पार्टी के नेता यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि कार्यकर्ता दमदारी से मैदान संभाले उसके लिए इतना कॉन्फिडेंस तो दिखाना होगा न। बाद की बाद में देखेंगे।
ग्वालियर चंबल संभाग के 16 विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करवाने का जो तीन दिवसीय महा अभियान शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में शनिवार से शुरू हुआ उसमें प्रभात झा और डॉ नरोत्तम मिश्रा को तवज्जो न देने की बात भाजपा के ही एक धड़े ने जोर-शोर से प्रचारित की। बावजूद इसके झा मंच पर तो नजर आए पर उनकी वह सक्रियता नहीं दिखी जिसके लिए वह पहचाने जाते हैं। इधर नेक्स्ट टू सीएम माने जा रहे डॉक्टर मिश्रा इस दौरान अपने गृहनगर डबरा और विधानसभा क्षेत्र दतिया में ही अलग-अलग आयोजनों में व्यस्त रहे। उनकी इस व्यस्तता को भी एक अलग नजर से देखा जा रहा है।
राघवेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गुप्ता के यहां हुई आयकर की कार्रवाई से मध्यप्रदेश में 2 लोग सबसे ज्यादा खुश हैं। एक हैं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी मोहिंदर कंवर और दूसरे परिवहन विभाग के एक निरीक्षक केपी अग्निहोत्री। आखिर ऐसा क्यों? दरअसल कंवर और अग्निहोत्री दोनों पिछले 10-15 साल में डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव से बहुत ज्यादा प्रताड़ित रहे। आयकर की जांच की जद में आये गुप्ता और तोमर के तार कुछ समय पहले सेवानिवृत्त हुए आईपीएस अफसर डॉ. श्रीवास्तव से जोडे जा रहे हैं। बात निकली है तो दूर तक जाएगी। अब तो समझ गये न इन दोनों के खुश होने का कारण।
दिल्ली से वापसी के बाद जब मुख्य सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया को माध्यमिक शिक्षा मंडल का अध्यक्ष बनाया गया था तो सब का चौंकना स्वाभाविक था। अपनी जबरदस्त कार्यशैली और अच्छे परफॉर्मेंस के कारण वे इससे बेहतर पदस्थापना के हकदार तो थे। पर कहते हैं ना जहां चाह, वहां राह। जुलानिया ने बोर्ड को देश का नंबर एक बोर्ड बनाने का संकल्प लेकर काम शुरू किया और इसके नतीजे जल्दी ही सामने आने लगेंगे। बच्चे पढ़ें, उनकी पढ़ाई की सतत मॉनिटरिंग हो, शिक्षकों को पढ़ाना पडे और उनके काम पर भी किसी की निगरानी रहे इसका जो पुख्ता इंतजाम जुलानिया कर रहे हैं वह आने वाले समय के लिए एक सुखद संकेत है।
इसे समय का फेर ही कहेंगे। कुछ महीने पहले कांग्रेस के शासनकाल में जब पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीएमडी पद से विकास नरवाल को हटाकर कुमार पुरुषोत्तम को पदस्थ किया गया था तब तत्कालीन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के कहने पर ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना नरवाल का तबादला निरस्त करवा दिया था। दरअसल डॉ. सिंह और नरवाल के ससुराल पक्ष के बीच बहुत घनिष्ठता है। समय बदला और प्रद्दुम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री हो गए। इस बार जब मंत्री की नाराजगी के चलते नरवाल को हटाया गया तो कोई मदद नही कर पाया। और तो और पिछली बार संचालक जनसंपर्क जैसा पद मिला था और इस बार उपसचिव बना दिया गया।
मध्यप्रदेश में जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से सांची भी एक है। 1985 से लेकर आज तक के सांची के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो ज्यादातर मौकों पर आमने सामने डॉ. गौरीशंकर शेजवार और डॉ. प्रभुराम चौधरी रहे है। एक बार डॉ. चौधरी और शेजवार के बेटे भी आमने सामने रहे हैं। डॉ. चौधरी अब भाजपा में आ गए और अब वही यहां से भाजपा के उम्मीदवार होंगे। कांग्रेस की परेशानी यहां बड़ी अलग है। डॉक्टर चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद यहां उसके पास कोई ऐसा नेता ही नहीं है जो उम्मीदवार बनाए जाने की स्थिति में टक्कर दे सके। यहां कांग्रेस मतलब डॉ चौधरी जैसी स्थिति थी, जो अब कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण है। ज्यादा तो यहां के प्रभारी पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे ही बता पाएंगे।
परिवहन विभाग में इन दिनों सिस्टम की बड़ी चर्चा है। यह सिस्टम क्या है इसे समझना थोड़ा टेढ़ा काम है, पर समझने वाले सब समझते हैं। इसी सिस्टम को लेकर इन दिनों बड़ी खींचतान है। मंत्री गोविंद राजपूत चाहते हैं कि जैसा सिस्टम भूपेंद्र सिंह के परिवहन मंत्री रहते चलता था वही चले यानि सब कुछ वे ही करें। ऐसा वे कमलनाथ के सीएम रहते नहीं कर पाए थे। । परिवहन आयुक्त मुकेश जैन तो चुप हैं लेकिन अपर परिवहन आयुक्त अरविंद सक्सेना इसके लिए सहमत नहीं है। वे चाहते हैं कि जैसा कांग्रेस के सत्ता में रहते और भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद तत्कालीन परिवहन आयुक्त डॉक्टर शैलेंद्र श्रीवास्तव करते थे और जिसे वी मधुकुमार ने निरंतर रखा, वैसा ही हो। देखते हैं चलती किसकी है क्योंकि तय भोपाल से ही होना है।
चलते चलते
आखिर ऐसा क्या मामला है कि भाजपा के हैवीवेट कैलाश विजयवर्गीय की सिफारिश के बाद मंडी बोर्ड से जुड़ी जिस फाइल को कृषि मंत्री कमल पटेल ने आगे बढ़ाया था, उसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद मंत्री को बुलाकर सख्त हिदायत के साथ खारिज करवा दिया।
मालवा क्षेत्र की एक रेंज में पदस्थ रहे एक अफसर के इन दिनों बड़े चर्चे हैं।अफीम का सीजन इस अफसर के लिए बहुत फायदे का रहा। ज्यादा जानकारी चाहिए हो तो मंदसौर, नीमच और रतलाम जैसे बॉर्डर के जिलों के पुलिस अफसरों से मिल लीजिए।
पुछल्ला
भोपाल के कौन से प्रॉपर्टी ब्रोकर हैं जिनके एक वकील के साथ हुए विवाद को हाल ही के आयकर छापों का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। भले ही कोई वास्ता ना हो लेकिन इन छापों का सबसे बड़ा नुकसान मध्यप्रदेश में बहुत पावरफुल पुलिस अधिकारी रहे डॉक्टर शैलेंद्र श्रीवास्तव को होता दिख रहा है। क्योंकि ई डी में सीडीबीटी को आगे बढ़ा है उसमें तो उन्हीं का नाम है।अबआग लगी है तो धुंआ तो निकलेगा ही न।
अब बात मीडिया की
नईदुनिया के मध्यप्रदेश के स्टेट हेड रहे आशीष व्यास ने इस्तीफा दे दिया है। सद्गुरु शरण अवस्थी की स्टेट हेड पद पर नियुक्ति के बाद से ही व्यास खुद को असहज महसूस कर रहे थे।
अपने वरिष्ठ संपादकों की भूमिका से नाखुश दैनिक भास्कर समूह के एमडी सुधीर अग्रवाल ने अपने करीब 3000 संपादकीय साथियों से सीधे तार जोड़ लिये हैं। ये संपादक जिनकी संख्या 100 के आसपास है ना तो सुधीर जी की बात नीचे तक सही तरीके से पहुंचा रहे थे, न ही अपने स्टाफ से जुड़े मुद्दे एमडी के सामने रख पा रहे थे।
इंदौर के दो वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप जोशी और विपिन नीमा अब जल्दी ही आकार लेने वाले मृदुभाषी अखबार और न्यूज़ पोर्टल का हिस्सा हो गए हैं।
नईदुनिया के नए स्टेट हेड सद्गुरु शरण अवस्थी ने अखबार के लेट होने का कारण बन रहे प्लानिंग टीम के 2 सदस्यों को जल्दी घर भेजना शुरू कर दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार राम नारायण तिवारी ने 38 पहले अहिल्यावाणी अखबार के रूप में जो प्रकल्प प्रारंभ किया था, उसे अब उनके बेटे अनमोल तथा पोते रूद्र व समर्थ अहिल्यावाणी.कॉम के रूप में आगे बढ़ाएंगे। इसकी शुरुआत रविवार से हो चुकी है।
भास्कर डिजिटल के वरिष्ठ साथी पंकज भारती का तबादला इंदौर से भोपाल कर दिया गया है।