कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने वायनाड में अपने दौरे के दूसरे दिन डॉ. अंबेडकर डिस्ट्रिक्ट मेमोरियल कैंसर सेंटर में पावर फैसिलिटी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने सांसद निधि से 50 लाख रुपये का योगदान भी किया। राहुल गांधी ने इस मौके पर कहा कि यह नई पावर फैसिलिटी उनके नेतृत्व में किए गए विचारधारा के तहत बिजली कटौती से बचाव करने में मदद करेगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में दो विभिन्न विचारधाराएं एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं। एक विचारधारा का कहना है कि आदिवासियों को इस देश के असली हकदार मानना चाहिए, जबकि दूसरी विचारधारा का कहना है कि वे आदिवासी नहीं वनवासी हैं, और इसलिए उन्हें देश का असली स्वामी मानने का अधिकार नहीं है।
राहुल गांधी के भाषण के मुख्य बिंदु
राहुल गांधी ने साझा किया कि उन्होंने हाल ही में राजस्थान में आदिवासी समुदाय से मिलकर बातचीत की थी। उनसे वर्तमान में देश में चल रही दो विभिन्न विचारधाराओं के बारे में चर्चा की, जो एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं। उन्होंने आदिवासी शब्द का मतलब समझाया कि वह जमीन के असली स्वामी होते हैं और उनके पास पृथ्वी की समझ और बुद्धिमत्ता होती है। वनवासी शब्द का उपयोग करके उन्होंने इस विचारधारा की खोखलीता को दिखाया और इसका विरोध किया, क्योंकि यह शब्द आदिवासियों को उनके असली हकदारी से दूर रखने की कोशिश करता है।
राहुल गांधी ने साझा किया कि आदिवासी समुदाय से सीखने की बातें हैं, विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के मामले में। उन्होंने बताया कि वे पिछले 5 हजार सालों से पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ रहे हैं और उनके रीति-रिवाज और जीवनशैली से हमें बहुत कुछ सिखने को मिल सकता है। इसके अलावा, राहुल ने आदिवासी समुदाय के साथ रिश्तों की महत्वपूर्णता पर भी बल दिया। इस दौरान उन्होंने कहा की आदिवासियों को जमीन और जंगल पर हक मिलना चाहिए। जंगल की जो उपज होती है उस पर अधिकार मिलना चाहिए। उन्हें किसी एक कैटेगरी में बांधकर नहीं रखना चाहिए। ये पूरी पृथ्वी उनकी पहुंच में होनी चाहिए।