राहत इंदौरी साहब इंदौर राइटर्स क्लब में भी आने वाले थे

Akanksha
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अर्जुन राठौर

राहत इंदौरी साहब के निधन की खबर ने पूरे साहित्य जगत को हिला कर रख दिया, दोपहर में ही खबर आई थी कि वे कोरोना से संक्रमित हैं और इसी बीच शाम को यह दुखद खबर आ गई । निश्चित रूप से राहत साहब का हम सबके बीच से अचानक इस तरह से चले जाना सभी को स्तब्ध कर गया है ।

सच तो यह है कि राहत साहब इंदौर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी पहचान बन चुके थे जिसकी कोई मिसाल मिलना मुश्किल है शायरी की दुनिया के वे बेताज बादशाह थे और महफिलों को लूट लिया करते थे पिछले दिनों अभय प्रशाल में उन पर केंद्रित एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था जिसमें देशभर के जाने-माने शायर आए थे और यह कार्यक्रम राहत साहब को समर्पित था इस कार्यक्रम में राहत साहब ने देर रात को अपने विचार भी रखें और शायरी भी पेश की ।

राहत साहब के छोटे भाई आदिल जी मेरे बड़े अच्छे मित्र थे वे बड़े अच्छे पत्रकार थे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का कवरेज बखूबी किया करते थे लेकिन दुर्भाग्य से वे राहत साहब से पहले ही चले गए थे राहत साहब के बारे में अक्सर इंदौर राइटर्स क्लब में जिक्र होता था और सरोज कुमार तथा पूर्व विधायक अश्विन जोशी से यही चर्चा होती थी कि किसी दिन राहत साहब को इंदौर राइटर्स क्लब में लेकर आना है फरवरी माह में तो करीब-करीब तय ही हो गया था कि राहत साहब को किसी भी रविवार को राइटर्स क्लब में लेकर आएंगे लेकिन इसी दौरान कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ और उसके बाद दुर्भाग्य ही रहा कि राहत साहब भी करोना से संक्रमित होकर हमारे बीच से चले गए ।

राहत साहब की शायरी के बारे में लिखना एक ऐसा काम है जिसे बहुत आसानी से नहीं किया जा सकता उनकी शायरी में दुनिया में संसार के सभी रंग समाहित थे वे सारे जहां की बात करते थे हिंदू मुस्लिम भाईचारे की बात करते थे इंसान और इंसान के बीच के घटिया पन को अपनी शायरी में बखूबी व्यक्त करते थे ।

बॉलीवुड से भी राहत साहब का बड़ा गहरा रिश्ता रहा उन्होंने कई फिल्मों में गीत लिखे जो बेहद चर्चित हुए उनके गीतों के बोल बड़े सटीक हुआ करते थे लेकिन उनके मुशायरे की लोकप्रियता के कारण उन्होंने बॉलीवुड से लंबा रिश्ता नहीं रखा हालांकि बॉलीवुड में उनके द्वारा लिखे गए गीतों को खासी लोकप्रियता मिली और राहत साहब चाहते तो बॉलीवुड में सक्रिय रह सकते थे लेकिन वे अलग मिजाज के आदमी थे और महफिल में शायरी सुनाना उनका प्रिय शौक था राहत इंदौरी साहब को सुनना जिंदगी का एक ऐसा अनुभव होता था जिसे व्यक्ति हमेशा याद रखता उनके मुशायरे मैंने जब भी सुने वे अविस्मरणीय बन गए ।