‘रेडियोग्राफर’ ने सरकार को बताया करोड़ों रुपये बचाने का आइडिया

Shivani Rathore
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Indore News : प्रदीप मिश्रा सरकारी कैंसर अस्पताल में एक्सरे विभाग के रेडियोग्राफर का आइडिया शत प्रतिशत सफल रहा है। इस आइडिये की वजह से कैंसर अस्प्ताल ने सरकार के लाखों रुपये बचाये है। यदि इस आइडिये का इस्तेमाल मेडिकल कॉलेज से सम्बन्धित सभी सरकारी और जिला अस्पतालों में किया जाय तो प्रदेश सरकार हर माह करोड़ो रूपये की बचत कर सकती है।

अगले माह रिटायर्ड होने जा रहे रेडियोग्राफर विनोद तिवारी ने बताया कि सिर्फ इस आइडिये से अकेले कैंसर अस्पताल में ही सरकार को 20 लाख रुपये की बचत हुई है । यदि यह आइडिया महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज सें सम्बन्धित एमवॉय हॉस्पिटल , चाचा नेहरू हॉस्पिटल , एमटीएच गायनिक हॉस्पिटल सहित प्रदेश के सभी सरकारी जिला अस्पतालों में इस्तेमाल किया जाय तो एक्सरे विभाग में एक्सरे फ़िल्म पर खर्च होने वाले सैंकड़ो करोड़ रुपये बचा सकते है।

यह है करोड़ो रूपये की बचत का आइडिया

वरिष्ठ रेडियो ग्राफर तिवारी के अनुसार सभी सरकारी अस्पतालों की तरह एमवॉय हॉस्पिटल परिसर में संचालित कैंसर अस्पताल में भी मरीजो के एक्सरे किये जाते है। पहले साधारण मशीनों से एक्सरे किये जाते थे मगर अब डिजिटल मशीन से एक्सरे किये जाते है।

मरीज का एक्सरे करने के बाद उसकी रिपोर्ट के लिए एक्सरे फ़िल्म की जरूरत होती है। कोरोना काल मे एक्सरे फ़िल्म की सफ्लाई के अटकने से मरीजो के एक्सरे रिपोर्ट का काम बार -बार रुक रहा था। जिससे मरीजो के इलाज में अड़चन आ रही थी । उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर रमेश आर्य को बताया कि एक्सरे फ़िल्म की सफ्लाई बाधित होने से जो समस्या बार बार आ रही है उसका एक स्थाई समाधान है । इसके लिए आपको सभी डाक्टरो को राजी करना होगा कि वह एक्सरे रिपोर्ट की फ़िल्म देखने की बजाय अपने स्मार्ट मोबाइल पर देख कर मरीज का इलाज करे।

एक्सरे की डिजिटल इमेज मोबाइल पर

इसके बाद अधीक्षक रमेश आर्य ने इस आइडिया के लिए सब डाक्टर्स को विश्वास में लिया । सभी के राजी होते ही डाक्टर्स की टीम का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया। इसके बाद एक्सरे रिपोर्ट को फ़िल्म पर निकालने की बजाय उसकी इमेज को डिजिटल मशीन से सीधे एंड्रॉइड मोबाइल पर भेजना शुरू कर दिया । इससे न सिर्फ एक्सरे फ़िल्म का लाखो रुपये का खर्चा बचने लगा बल्कि मरीज अथवा उसके परिजन के लिए भी यह आसान औऱ सुविधा जनक हो गया क्योंकि अब एक्सरे फ़िल्म बेग में रखने की बजाय अपने मोबाइल की गैलरी में रखने लगे है ।

सिर्फ ऑपरेशन और एनेस्थियाँ वालो को ही फ़िल्म

तिवारी के अनुसार अब एक्सरे फ़िल्म सिर्फ ऑपरेशन वाले मामलो में दी जाती है क्योंकि वह ऑपरेशन करते वक्त वैक्टीरिया यानी संक्रमण से बचने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल नही करते । इस लिए ऑपरेशन थियेटर में फ़िल्म जरूरी होती है। इसके अलावा एनेस्थियाँ विभाग को फ़िल्म की जरूरत होती है। बाकी डॉक्टर एक्सरे की रिपोर्ट फ़िल्म में देखने की बजाय अपने मोबाइल पर देख सकते है ।

अब तक 20 लाख रुपये की बचत

सरकारी केंसर अस्प्ताल में एक्सरे फ़िल्म की बजाय एक्सरे इमेज वाले आइडिये का इस्तेमाल कोरोना काल के बाद साल 2021 से किया जा रहा है अब तक 19 हजार 800 एक्सरे रिपोर्ट की इमेज मोबाइल पर देख कर मरीजो का इलाज किया जा रहा है। इससे सरकार को लग्भग 20 लाख रुपये की एक्सरे फ़िल्म की बचत हई है।

हर रोज 10,000 से ज्यादा एक्सरे फ़िल्म की जरूरत होती है

इंदौर सहित प्रदेश के सारे मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल्स और सभी जिला अस्पतालों में हर दिन ,10 हजार से ज्यादा एक्सरे होते है। यदि एक एक्सरे फ़िल्म की कीमत 100 रुपये है तो सिर्फ एक दिन में लगभग 10 लाख रुपये की एक्सरे फ़िल्म की खपत होती है। यदि एक्सरे फ़िल्म की जगह मोबाइल इमेज का इस्तेमाल किया जाय तो सरकार हर साल अपने खजाने में करोड़ो रूपये बचा सकती है।