राधा को कृष्णवल्लभा और ब्रज की अधिष्ठात्री देवी के रूप में जाना जाता है। सनातन धर्म में प्रति वर्ष भादौ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा जी के अवतरण दिवस ‘राधा अष्टमी’ के रूप में मनाया जाता है। हमारे धर्म में भगवान कृष्ण का स्वरूप देवी राधा के बिना अधूरा माना जाता है और दोनों को दो शरीर और एक प्राण की संज्ञा दी जाती है।
माँ कीर्ति और पिता वृषभानु गुर्जर के घर हुआ था ‘राधा अलबेली सरकार’ का अवतरण
ब्रज की अलबेली सरकार कहे जानी वाली देवी राधा का जन्म माँ कीर्ति और पिता वृषभानु गुर्जर के घर जोकि ब्रज के रावल ग्राम में था वहां हुआ था। मानयता है कि राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से ग्यारह महीने बड़ी थी। काफी लोग बरसाना को राधा जी का जन्म स्थान मानते हैं, जबकि उनका मूल जन्म स्थान बरसाना ना होकर रावल ग्राम है जोकि गोकुल महावन के नजदीक है। कंस के भय से बाद में गोकुल के स्थान पर नंदगांव और रावल की जगह बरसाना में पलायन किया गया।
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बरसाना, वृंदावन के मंदिरों में रहेगी विशेष
राधा अष्टमी के उपलक्ष्य में कल बरसाना, वृंदावन सहित पुरे ब्रज मंडल के मंदिरों में विशेष धूम रहेगी। हजारों लाखों श्रद्धालु कई दिन पहले से राधा अष्टमी मनाने के लिए ब्रज मंडल में उपस्थित होते हैं, जिनमें देश भर के सहित विदेशों के भक्त भी सम्मिलित रहते हैं। सभी मंदिरों में इस विशेष अवसर पर विशिष्ट साज सज्जा का आयोजन होता है।