कैलाश विजयवर्गीय के चुनावी शपथ पत्र पर सवाल, छिपाया बंगाल केस, छत्तीसगढ़ केस में भी फरार घोषित…

Deepak Meena
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इंदौर : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 01 के भाजपा के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के द्वारा अपना नामांकन दाखिल करने के साथ प्रस्तुत किये गये शपथ पत्र मे अपने उपर दर्ज गंभीर अपराधिक प्रकरणो को छुपाया गया। विजयवर्गीय के द्वारा उनके खिलाफ दर्ज हुए सामुहिक बलात्कार के मामले कोभी छुपाया गया है। इस मामले की कोई जानकारी इस शपथ पत्र में नहीं दी गई है। इस मामले मे जब कांग्रेस के द्वारा आपत्ति ली गई तो राजनैतिक दबाव और प्रभाव के चलते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा नियम के विपरीत आचरण कर कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर दिया गया। शपथ पत्र मे अपने आपराधिक विवरणों की जानकारी छुपाये जाने के सबुत होने के बावजूद भी विजयवर्गीय को रिटर्निंग आफिसर द्वारा संरक्षण दिया गया।

कांग्रेस के द्वारा इस मामले में अब रिटर्निंग आफिसर द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी से संगनमत होकर किये गये गैर कानुनी कृत्य की शिकायत भारत निर्वाचन आयोग से की जायेगी।विजयवर्गीय के खिलाफ एक महिला के द्वारा पश्चिम बंगाल के सीजेएमसी न्यायलय में धारा 156 (3) के तहत एक निजी परिवाद प्रस्तुत किया गया। इस निजी परिवाद में यह कहा गया की कैलाश विजयवर्गीय और उनके मित्र प्रदीप जोशी तथा जिष्णु बसु के द्वारा उक्त महिला के साथ सामुहिक बलात्कार किया गया। इस महिला की शिकायत पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय के द्वारा इस शिकायत को खारिज कर दिया गया। न्यायालय के इस आदेश को ज्यादती की शिकार महिला के द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय के द्वारा इस मामले की सुनवाई करने के उपरांत पारित किये गये आदेश मे अधीनस्थ न्यायालय को कहा गया कि इस आदेश की प्रति मिलने के 7 दिन के अंदर अपने पुराने आदेश पर पुर्नविचार करे और मामले का निराकरण करे।

उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये इस आदेश के परिपेक्ष्य में अधीनस्त न्यायालय के द्वारा बाद मे मामले की फिर से सुनवाई की गई और नया आदेश पारित किया गया। न्यायालय के द्वारा थाना बिलाला को यह निर्देश दिया गया कि इस मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच की जाये। न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेश के आधार पर पुलिस थाना बिलाला ने कैलाश विजयवर्गीय, प्रदीप जोशी एवं जिष्णु बसु के खिलाफ आईपीसी की धारा 417,376,406,313,120 बी के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। इस मामले में उच्च न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेश के खिलाफ कैलाश विजयवर्गीय के द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में रिवीजन प्रस्तुत कर चुनौती दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के उपरांत उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।

उपरोक्त पुरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ सामुहिक बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मुकदमे की उनको जानकारी है। उनके द्वारा मुकदमे को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई गई है। यह संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद विजयवर्गीय के द्वारा अपने शपथ पत्र में इस अपराध का उल्लेख नही किया गया है। शपथ पत्र मे जान बुझकर तथ्यो को छुपाना भी एक अपराध है। इस मामले को लेकर नामांकन पत्र की जांच के दौरान कांग्रेस के द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष न्यायालय की प्रमाणित प्रतिलिपियो को प्रस्तुत करते हुए आपत्ति ली गई। राजनैतिक दबाव और प्रभाव मे दबे हुए इन्दौर के विधानसभा 204 इन्दौर 01 के रिटर्निंग आफिसर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने विजयवर्गीय की गलतियों को संरक्षण देते हुए कांग्रेस की आपत्तियो को खारिज कर दिया। इससे यह स्पष्ट है कि इन्दौर के जिला निर्वाचन अधिकारी भाजपा के दवाब में भाजपा के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे है।

जब निर्वाचन अधिकारी ही निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नही कर रहा हो तो फिर निष्पक्ष चुनाव की अपेक्षा ही नहीं की जा सकती है। कांग्रेस के द्वारा अब चुनाव आयोग के समक्ष जाकर कैलाश विजयवर्गीय के कृत्य और जिला निर्वाचन अधिकारी के अवैधानिक फैसले की शिकायत की जायेगी। इस शपथ पत्र मे यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के द्वारा निर्धारित किये गये प्रारूप से अलग हट कर शपथ पत्र बनाकर प्रस्तुत किया गया है। ऐसा यदि किसी अन्य प्रत्याशी के द्वारा किया गया होता तो उसका नामांकन पत्र ही निरस्त कर दिया जाता।

Press note-1

दुर्ग (छत्तीसगढ) न्यायालय से है फरार आरोपी

कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ दुर्ग में वहां के तत्कालीन महाधिवक्ता कनक तिवारी के द्वारा मानहानि का मुकदमा लगाया गया है। इस मुकदमे में निर्धारित प्रकिया के अनुसार विजयवर्गीय के नाम पर समन जारी किया गया। इस समन की तामिली होने के उपरांत भी जब वे न्यायलय में उपस्थित नही हुए तो उनके नाम पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। यह जमानती गिरफ्तारी वारंट था, इस वारंट के उपरांत भी जब विजयवर्गीय न्यायालय मे उपस्थित नही हुए तो न्यायालय के द्वारा उन्हें फरार घोषित करते हुए उनके नाम पर स्थायी वारंट जारी कर दिया गया। इस तरह छत्तीसगढ़ के दुर्ग से कैलाश विजयवर्गीय फरार अपराधी है। विजयवर्गीय के द्वारा अपने इस अपराध की जानकारी को भी अपने नामांकन पत्र और शपथ पत्र मे छुपाया गया है जबकि उन्हे न्यायालय से प्राप्त समन्स जमानती वारंट एवं गिरफ्तारी वारंट से उक्त प्रकरण की जानकारी प्राप्त हो चुकी थी।

इन छुपाये गये मामलो का भांडा फोड होने से कैलाश विजयवर्गीय का असली चेहरा उजागर होकर सामने आ गया है। धर्म की बात करने वाला व्यक्ति बलात्कार और मानहानि जैसे संगीन अपराधो का अपराधी है। इस हकीकत को छुपाने की भाजपा और विजयवर्गीय की कोशिश नाकाम हो गयी है अब कांग्रेस इस मामले मे विधी विशेषज्ञो से सलाह लेकर आगे विधी सम्मत कार्यवाही करेगी। दिनांक 31 अक्टूबर 2023 को स्कुटनी में भोजपुर कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल द्वारा इसी विषय पर ली गई आपत्ति पर भाजपा उम्मीदवार सुरेन्द्र पटवा से जवाब मांगा गया है एवं उनका नामांकन फार्म होल्ड पर रखा गया है। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी शरदेंदु तिवारी की शिकायत पर चुरहट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह से भी जवाब मांगा गया है एवं उनका नामांकन फार्म भी होल्ड पर रखा गया है। साथ ही भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी के नामांकन पर कांग्रेस की चंदा सिंह गौर द्वारा आपत्ति जताई जाने पर उनसे भी जवाब मांगा गया है और उनका नामांकन फार्म होल्ड पर रखा गया है। उक्त तीनो कार्यवाईयां भी रिटर्निंग आफिसर द्वारा की गई है।

जबकि इस विषय पर इन्दौर के विभीन्न समाचार पत्रो के पत्रकारो द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर इन्दौर से प्रश्न पुछे जाने पर उनके द्वारा गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए कहा गया की रिर्टनिंग आफिसर को नामांकन पत्र के साथ संलग्न शपथ पत्र के संबंध मे आपत्ति सुने जाने का कोई अधिकार नही है।