Purnima Shraddha 2021: कब है भाद्रपद पूर्णिमा, जानिए मुहूर्त, पूजन विधि, तिथि और महत्त्व

Pinal Patidar
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Sarva Pitru Amavasya 2021

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन उमा माहेश्वर व्रत किया जाता है। साथ ही इसी तिथि से पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाते हैं, जो अश्विन अमावस्या पर समाप्त होते हैं। इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने का महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य के कार्य करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।

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दरअसल इसी तिथि से पितृपक्ष आरंभ हो जाते हैं। इस साल पूर्णिमा श्राद्ध 20 सितंबर को है। वहीं पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध आता है। सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्तूबर 2021 को है। श्राद्ध की इन तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है।

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पूर्णिमा श्राद्ध विधि 
शास्त्रों के अनुसार, जो हमारे पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनके पूर्णिमा श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। हमारे पूर्वज जिनकी वजह से हमारा गोत्र है। उनके निमित तर्पण करवाएं। अपने दिवंगत की तस्वीर को सामने रखें। उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें। इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें। खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।

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पूर्णिमा तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – सितंबर 20, 2021 को प्रातः 05:30:29 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – सितंबर 21, 2021 को प्रातः 05:26:40 बजे

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भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत करते हैं, उनके घर में सब प्रकार से सुख-समृद्धि का वास होता है। सारें कष्ट दूर होते हैं। इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण नें भी इस व्रत को किया था। इस दिन दान-स्नान का भी बहुत महत्व माना गया है। भादप्रद पूर्णिमा के दिन को इसलिए भी खास माना गया है क्योंकि इस दिन से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होता है।