चंडीगढ़: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में लगभग 2 महीनो से विरोध जारी है जिसके चलते कई बैठके भी सम्पन्न की गयी लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला हैं. इन विरोध कर रहे किसानो में बड़ी सख्या पंजाब के किसानो की है. एक तरफ किसान इन कानूनों के वापस लेने की मांग कर रहे है वही सरकार इन्हे किसान हितेषी बता रहे है. सरकार का कहना है ये कानून किसानो की आय बढ़ने के लिए और उनके अनाज को उचित मूल्य मिलने के लिए बनाये गए है. साथ ही सरकार का दावा है कि बड़ी संख्या में किसान इन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं. ऐसे में इन सबके बीच पंजाब में फरवरी में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं. और इन कानूनों के विवाद के कारण शिरोमणि अकाली दल पहले ही बीजेपी से नाता तोड़ चुका है. और बीजेपी को अब इन चुनावो में पहली बार अकेले चुनाव लड़ना होगा, साथ ही बीजेपी सरकार का कहना है इन चुनाव के जरिये किसानों को कृषि कानूनों के फायदे भी बताएगी.
इन कृषि कानूनों के विवाद के पहले पंजाब में बीजेपी हमेशा अपने गठबंधन के दल रहे शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती आ रही है। जिस लिहाज से उसे 20 फीसदी ही सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिलती थीं. लेकिन इस बार पंजाब में 13 फरवरी को 8 नगर निगम और 109 नगर परिषद व नगर पंचायत की सीटों पर चुनाव होने जा रहा है जिसमे बीजेपी पहली बार सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. मिली जानकारी के अनुसार पंजाब बीजेपी के प्रभारी दुष्यंत गौतम का कहना है कि पंजाब के किसानों में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर कोई नाराजगी नहीं है. वे इन्हें लेकर खुश हैं. कांग्रेस और अन्य दल मिलकर किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं.ये दल किसानों को बरगला रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि किसानों को यह मालूम है कि ये कानून उनके हित में हैं. इससे उनकी आय भी बढ़ेगी. इसलिए पंजाब के किसान बीजेपी को ही वोट देंगे.
पंजाब का एक और अहम् मुद्दा नशामुक्ति है जिसे लेकर गौतम का कहना है कि “बीजेपी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान किसानों को कृषि कानूनों के फायदे बताएगी. पंजाब में एक और अहम मुद्दा बीजेपी के लिए नशामुक्ति भी रहेगा.”इस बार के चुनाव् में बीजेपी इन चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इन चुनाव में प्रचार के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री भी पंजाब जाएंगे।