आज जब मेने कोरोना ओर आगामी दिनों में होने वाले उप चुनाव को तराजू में तोला तो तराजू का पड़ला देखकर मैं भी हैरत में पड़ गया, क्योकि मानव जाति पर अटैक करने वाले कोरोना से ज्यादा महत्वपूर्ण चुनाव हो गया है। एक तरफ लोग कोरोना से मरे जा रहे है और राजनीति करने वालो को चुनाव की चिंता लगी हुई है। सरकार में बैठे लोग भूल गए होंगे कि प्रदेश की ये वो ही जनता है जिन्होंने आपको एक बार नही तीन बार सरकार में बैठाया है। आज जब प्रदेश की जनता पर कोरोना का संकट मंडरा रहा है तो उनकी चिंता तो दूर आपको चुनाव की पड़ी हुई है। अरे भाई चुनाव तो बाद में भी हो सकते है , अभी कोरोना को हराना जरूरी है।
प्रदेश के हालात चिंताजनक
* कोरोना से हालत इतनी खराब कर हो चुकी है कि हॉस्पिटलों में मरीजो को एडमिट करने की जगह नही है , हॉस्पिटलों के संचालकों ने दादागिरी मचा रखी है , इलाज के नाम पर अनाप शनाप फीस वसूली जा रही है। लोग इलाज के लिए इधर उधर भागा दौड़ी कर रहे है , दवाइयां नही मिल रही है, मरीजो ओर उनके परिजनों की कोई सुनने वाला नही है। आपके अफसरों को ये सब मालूम है उसके बावजूद भी सरकार की पहली प्राथमिकता चुनाव है।
वाह क्या लोकतंत्र है
सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ चलता है। इसीलिए तो जनप्रतिनिधियों ने एक ही झटके में पूरा शहर – प्रदेश खोल दिया। इसी को लोकतंत्र कहते है । पहले सत्ता फिर जनता
अंत मे
आप चुनाव लड़िए
हम कोरोना से लड़ते है
विपिन नीमा