फीस वृद्धि से पहले निजी स्कूलों का हो लेखा परीक्षण – आप

Deepak Meena
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निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा फीस रेगुलेटरी कानून बनाया गया था जिसमे निजी स्कूलों द्वारा हर साल दस प्रतिशत वृद्धि का प्रावधान था. इससे ज्यादा फीस वृद्धि के लिए जिला समिति और राज्य समिति से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है तथा पालकों का प्रतिनिधित्व भी अनिवार्य हे जिससे पालक दावे आपत्ति लगाकर अनावश्यक फीस वृद्धि को रोक सकते हे.

लेकिन ऐसी कोई भी व्यवस्था नही की जा रही हे,चुकी जिला समिति द्वारा प्रभावशाली तरीके से निगरानी तथा नियत्रण नही हो पाने के कारण निजी स्कूलों द्वारा अलग अलग मदो के नाम पर फीस वृद्धि की जा रही है जिससे महगाई से परेशान पालकों पर दोहरा आर्थिक बोझ पड़ रहा है. दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अनियंत्रित फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए निजी स्कूलों के वित्तीय विवरणों का ऑडिट करवाकर अनावश्यक फीस वृद्धि को रोका था.

आप प्रदेश प्रवक्ता हेमंत जोशी ने बताया की राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर सरकारी स्कूलों में अव्यवस्था कर रखी हे, कितने स्कूलों में पानी भरा हे एवम स्कूलों की छत से पानी टपक रहा हे.हाल ही में शासकीय स्वामी विवेकानंद आदर्श विद्यालय में नशा खोरी की घटना के कारण एक छात्र की हत्या होना स्कूलों की हालत को उजागर करती हे,सरकारी स्कूलों में ठीक व्यवस्था न हो पाने के कारण मजबूरी में पालक निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए बाध्य हे.पहले ही पालकों को स्कूल किताबो और यूनिफार्म के नाम पर लुटा जाता हे.

आम आदमी पार्टी मांग करती हे की सरकारी स्कूलों की व्यवस्था उन्नत हो तथा निजी स्कूलों के वित्तीय विवरणों का आडिट करवाकर अनावश्यक फीस वृद्धि पर नियंत्रण किया जाए जिससे पालकों को राहत मिल सके.आम आदमी पार्टी शिक्षा सुविधाओं की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध हे