मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा हुई। इस दौरान विपक्ष ने निजी स्कूलों को बंद करने की मांग की, जबकि सरकार ने इस विधेयक को पारित कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि सरकारी शिक्षकों को अधिक वेतन मिलने के बावजूद छात्रों की संख्या कम है, जबकि निजी स्कूल कम वेतन और ज्यादा छात्रों के बावजूद ऊंची फीस लेते हैं। कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने यह सुझाव दिया कि वरिष्ठ अधिकारियों जैसे एसपी और कलेक्टर के बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने का नियम होना चाहिए, ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने में मदद मिले। उन्होंने यह भी कहा कि निजी स्कूलों में आरक्षण लागू किया जाए, ताकि एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों को समान शिक्षा मिल सके। कांग्रेस विधायक राजन मंडलोई ने यह कहा कि अगर सरकार के पास पर्याप्त बजट है, तो निजी स्कूलों को बंद कर देना चाहिए और सरकारी स्कूलों के जरिए ही विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने निजी स्कूलों में कमीशन के खेल और छिपी फीसों का विरोध किया।
कांग्रेस विधायक ने प्रदेश में शिक्षा माफिया पर कसा तंज
कांग्रेस विधायक रामकिशोर दोगने ने प्रदेश में शिक्षा माफिया के बढ़ते प्रभाव की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक और सरकारी अधिकारी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते हैं, जिससे शिक्षा माफियाओं को बढ़ावा मिलता है। इस पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक खुद निजी स्कूल चलाते हैं, इसलिए उनके बयानों का कोई असर नहीं होगा। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से निजी स्कूलों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 34,000 निजी स्कूल हैं, जिनमें से 21,000 स्कूलों की फीस 25,000 रुपये से कम है। 25,000 रुपये से अधिक फीस लेने वाले स्कूलों पर नए नियम लागू होंगे। मंत्री ने यह भी कहा कि फीस वृद्धि पर आने वाली शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और जल्द निपटाया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि स्कूलों में यौन उत्पीड़न के मामलों में कठोर कार्रवाई की जा रही है। मंत्री ने यह आश्वासन दिया कि सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट की समस्या को हल किया जाएगा और अतिथि शिक्षकों के समायोजन के लिए योजना बनाई जा रही है।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधेयक को बताया ऐतिहासिक
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विधेयक को ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में निजी स्कूलों की फीस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। मंत्री ने बताया कि अब निजी स्कूल अपने मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। इसके लिए जिला और विभागीय स्तर पर समितियों से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
आरटीआई दायरे में स्कूलों में जातिवाद की हरकतों पर सख्त रोक
मंत्री ने कहा कि आरटीआई के तहत आने वाले स्कूलों में अब बच्चों के साथ जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाले स्कूलों को अब पोर्टल पर प्रति किलोमीटर के हिसाब से फीस अपडेट करनी होगी। स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि निजी स्कूलों द्वारा संचालित परिवहन व्यवस्था की अब लगातार निगरानी की जाएगी। स्कूलों को अब पोर्टल पर अपनी सारी जानकारी अपलोड करनी होगी और उन्हें शासन के निर्धारित नियमों के अनुसार काम करना होगा। मंत्री ने यह भी कहा कि फीस से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।