रेमडेसीविर इंजेक्शन के सिद्धांत निर्धारित, जानिये कब जरुरी है इसका प्रयोग

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उज्जैन : कोविड-19 महामारी के प्रकरणों में हो रही वृद्धि एवम उसके फलस्वरूप बढ़ रहै कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ हुई चर्चा के अनुसार रेमडेसीविर इंजेक्शन के संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा मार्गदर्शी सिद्धांत निर्धारित कर दिए गए हैं।

जिला स्तरीय मेडिकल टीम एवं आईएमए के दृष्टि में यह आया है कि अनावश्यक रूप से कतिपय मरीजों को रेमदेसीविर इंजेक्शन प्रेसक्राइब किया जा रहा है जो कि अनुचित है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रेसक्राइब करबे के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत जारी किए गए है जो इसप्रकार है :-

1. यदि कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के संदर्भ में फेफड़ों में संक्रमण 10% से अधिक है एवं संक्रमित व्यक्ति वृद्ध अथवा कोमारबिड बीमारियों जैसे मधुमेह , उच्च रक्तचाप , हृदय संबंधी बीमारी आदि से ग्रसित है ।

अथवा

2. कोविड संक्रमित व्यक्ति जिनका फेफड़ों में संक्रमण 25 प्रतिशत से अधिक हो चाहे वह व्यक्ति किसी भी उम्र का हो । को मॉर्बिड से ग्रसित हो अथवा नही ।

अथवा

कोविड नेगेटिव व्यक्ति जिसका फेफड़े का संक्रमण 25 प्रतिशत से अधिक हो

अथवा

यदि किसी व्यक्ति का spo 2 का प्रतिशत 92 प्रतिशत से कम हो और व्यक्ति को कोविड जैसे लक्षण हो तो ही चिकित्सकों द्वारा रेमडेसीविर इंजेक्शन प्रेस क्राइब किया जाए ।

कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए ड्रग इंस्पेक्टर को कहा है कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह रेमडेसीविर इंजेक्शन की जिले के अंतर्गत सप्लाई लाइन की मॉनिटर करें तथा रेंडम आधार पर विभिन्न अस्पतालों में रेमडेसीवीर इंजेक्शन प्रेस क्राइब करने में उपरोक्त सिद्धांतों का पालन किया जाना है यह नहीं यह सुनिश्चित किया जाए।

यदि किसी भी चिकित्सक / अस्पताल द्वारा उपरोक्त निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो उनके विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 56 तथा भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।