भोपाल : राजस्व एवं परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बताया कि समय-समय पर तहसीलदार एवं नायब-तहसीलदार द्वारा न्यायाधीश के रूप में उन्हें प्रदान संरक्षण के संबंध में संशय व्यक्त किया जाता रहा है। इस संबंध में राज्य शासन द्वारा राजस्व न्यायालय के समस्त पीठासीन अधिकारियों को पूर्व से प्राप्त न्यायाधीश संरक्षण अधिकार को प्रमुख सचिव राजस्व श्री मनीष रस्तोगी द्वारा और अधिक स्पष्ट करते हुए सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर सूचित किया गया है। इससे तहसीलदार एवं नायब-तहसीलदार न्यायाधीश के रूप में अपनी भूमिका का स्वतंत्र एवं निर्भिक रूप से निर्वहन कर सकेंगे।
प्रदेश के समस्त कलेक्टर को भेजे गये अपने पत्र में प्रमुख सचिव ने राजस्व न्यायालय के समस्त पीठासीन अधिकारी जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 31 अथवा किसी विधिक प्रावधान के अन्तर्गत अर्द्ध-न्यायिक/न्यायिक कार्यवाही कर रहे हैं, न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम 1985 की धारा 2 के अन्तर्गत न्यायाधीश हैं और उन्हें ऐसी अर्द्ध-न्यायिक/न्यायिक कार्यवाही के दौरान किये गये किसी कार्य के विरूद्ध सिविल अथवा दांण्डिक कार्यवाही से अधिनियम की धारा 3(2) के अधीन रहते हुए संरक्षण प्राप्त है।