गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रपति का सख्त रुख, बोले- पवित्र दिन का अपमान बर्दाश्त नहीं

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नई दिल्ली। दशक के पहले बजट सत्र की शुरुआत आज से हो गई है। जिसके चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से सत्र की कार्यवाही शुरु हो गई है। वही राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कृषि कानून, किसान आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई हिंसा का भी जिक्र किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बर्दाश्त नहीं है।

कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं।

इस दौरान गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा को लेकर भी राष्ट्रपति का रुख सख्त दिखा। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में इन कानूनों का अमलीकरण देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी। उन्होंने कहा कि इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ। छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था।