विरोध के बीच कृषि बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी

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नई दिल्ली: किसानों से जुड़े कृषि बिल के संसद में पास होने के बाद से ही देशभर में इसका विरोध चल रहा है। किसानों और राजनीतिक दलों के विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस बिल पर अपनी सहमती दे दी है। किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई। इसके अलावा राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है।

गौरतलब है कि पिछले काफी सालों से भाजपा का सहयोगी अकाली दल इस बिल को लेकर मुखर रहा। पहले उसने संसद में इस बिल का विरोध किया, फिर कैबिनेट मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जब बिल को लेकर सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया तो अकाली दल ने खुद को NDA से अलग कर लिया।

21 सितंबर को राष्ट्रपति से मिलने के बाद, अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा था, ‘हमने राष्ट्रपति से संसद में पारित किए गए किसान विरोधी बिलों पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ अनुरोध किया। हमने उनसे उन बिलों को संसद में वापस भेजने का अनुरोध किया है।’

बुधवार को कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे। विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल की तरफ से गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति से मिले। आजाद ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है और कहा है कि सब राजनीतिक दलों से बात करके ही यह बिल लाना चाहिए था।

हालांकि विपक्षी दलों की अपील काम नहीं आई और राष्ट्रपति की सहमती के आबाद ये तीनों विवादास्पद बिल अब कानून बन गए हैं। गौरतलब है कि अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगातार कृषि बिल का विरोध किया। किसानों ने इसके खिलाफ ‘भारत बंद’ भी बुलाया था, जिसमें किसानों को कई पार्टियों का साथ मिला था।