भोपाल। महू के डॉ भीमराव आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ आशा शुक्ला पर लगे फर्जीवाड़े के आरोप की जांच से भोपाल की बागसेवनिया थाना पुलिस अब पीछे हटने लगी है। सूत्रों के मुताबिक जांच को ठंडे बस्ते में डालने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इस मामले को अब उच्च शिक्षा विभाग को भेजा रहा है। खास बात यह है कि मामले का उच्च शिक्षा विभाग से कोई लेना देना ही नहीं है। डॉ शुक्ला मूल तौर पर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की संविदा कर्मचारी हैं। उनकी नियुक्ति राजभवन ने महू के विवि में की है। लिहाजा सवाल इस बात पर खड़े हो रहे हैं कि उच्च शिक्षा विभाग इस मामले की जांच कैसे करेगा। गौरतलब है कि डॉ शुक्ला पर आरोप हैं कि उन्होंने बीयू के तत्कालीन रजिस्ट्रार यूएन शुक्ला के फर्जी हस्ताक्षर से एनओसी जारी कर कुलपति पद पर नियुक्ति ले ली। इस मामले की जांच बागसेवनिया पुलिस कर रही है।
एडीजी से की थी मुलाकात
कुलपति डॉ शुक्ला ने इस मामले में भोपाल जोन के एडीजी उपेन्द्र जैन से भी मुलाकात की थी। इसके बाद जैन ने बागसेवनिया पुलिस थाने से इस मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी एसआई वीरेन्द्र सेन को तलब किया था। इसके साथ ही उन्होंने पूरे मामले की समीक्षा की थी। जांच अधिकारी ने एडीजी को बताया है कि इस मामले में तत्कालीन रजिस्ट्रार यूएन शुक्ला के बयान भी हो चुके हैं। इसमें तत्कालीन रजिस्ट्रार शुक्ला ने बयान दिए हैं कि कुलपति शुक्ला ने अनापत्ति प्रमाण पत्र राजभवन में लगाया है उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं है। इन बयानों को काफी अहम माना जा रहा है। इन्हीं बयान के आधार पर बागसेवनिया पुलिस ने कुलपति डॉ शुक्ला को नोटिस जारी कर तलब किया था। लेकिन वो अब तक थाने में उपस्थित नहीं हुई हैं।
यह पूरी तरह से धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला है। इसकी जांच उच्च शिक्षा विभाग कैसे कर सकता है क्योंकि विभाग को अपराधिक मामले की जांच के अधिकार नहीं है। वैसे भी डॉ शुक्ला की नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग ने नहीं की है।
अजय त्रिपाठी, शिकायतकर्ता
कुलपति की नियुक्ति राजभवन से हुई है इसलिए इस मामले में सीधे जांच नहीं की जा सकती है। फिर भी हम दस्तावेजों का परीक्षण करा रहे हैं। इस मामले में प्राथमिक जांच उच्च शिक्षा विभाग या कहीं और से हो जाए उसके बाद हमारा जांच करना सही रहेगा। इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों से भी मार्गदर्शन लिया जा रहा है।