मनमोहन सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहते थे प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रहते की थी कोशिश मगर योजना रह गई अधूरी

Abhishek singh
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भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें शाम के समय तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मनमोहन सिंह, जो अपने समय के प्रमुख अर्थशास्त्री रहे, के निधन की खबर फैलने के बाद देशवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें 1992 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार करने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि, उनकी उपलब्धियां केवल राजनीति तक सीमित नहीं थीं, बल्कि नौकरशाही में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसके कारण 1987 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था। इसके अलावा, उन्होंने देश-विदेश में कई बड़े सम्मान प्राप्त किए थे।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में किया खुलासा

एक समय था जब मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की चर्चा पूरे जोर-शोर से हो रही थी, लेकिन यह संभावना सिर्फ बातों तक ही सीमित रह गई। इसी बीच, 2023 में प्रणब मुखर्जी की बेटी, शर्मिष्ठा मुखर्जी, ने अपनी किताब प्रणब माई फादर, अ डॉटर रिमेंबर में इस विषय से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया।

शर्मिष्ठा के अनुसार, प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति रहते हुए मनमोहन सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहते थे। शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में बताया कि 30 अक्टूबर 2013 को उनके पिता ने इस विषय पर अपनी डायरी में कुछ अहम बातें लिखी थीं। उन्होंने तत्कालीन कैबिनेट सचिव को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, पुलक चटर्जी से बात करने का निर्देश दिया था। प्रणब ने कहा था कि कैबिनेट सचिव को पुलक को संदेश देना चाहिए कि वह इस मामले में यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा करें।

शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में बताया कि मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की मांग के बारे में प्रणब मुखर्जी की किताब में आगे कोई उल्लेख नहीं मिलता। इस कारण यह स्पष्ट नहीं है कि पुलक चटर्जी ने इस बारे में सोनिया गांधी से बात की थी या नहीं। शर्मिष्ठा ने यह भी कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि डॉ. मनमोहन सिंह को देश का सर्वोच्च सम्मान देने की इस पहल पर आगे क्या कदम उठाए गए।

प्रणब मुख़र्जी मनमोहन सिंह को देते थे आर्थिक सुधारों का श्रेय

शर्मिष्ठा के अनुसार, कुछ व्यक्तिगत मतभेदों के बावजूद प्रणब मुखर्जी हमेशा मनमोहन सिंह के समर्थक रहे। उन्होंने 1991 से 1996 के बीच वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों और 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान प्रधानमंत्री के रूप में भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने का पूरा श्रेय मनमोहन सिंह को दिया था।