देश के शातिर राजनेताओं ने सत्ता पाने के लिए चुनाव करवाये.. हजारों की भीड़ जुटाई तब कोरोना संक्रमण नहीं फैला, मगर चुनाव निपटते ही संक्रमण आश्चर्यजनक तरीके से बढऩे लगा… दीपावली के त्यौहार को भी इसका कारण बताया जा रहा है… मगर सबसे ज्यादा मुसीबत में वे हजारों परिवार आ गए जिनके यहां शादियों के आयोजन हैं… अभी 25 नवम्बर देवउठनी ग्यारस से शादियां शुरू हो जाएगी.. अनेक परिवारों ने मई-जून के लॉकडाउन के चलते शादियां स्थगित कर नवम्बर-दिसम्बर में रखी थी, वे अब फिर उलझ गए… कोरोना संक्रमण बढऩे के चलते इंदौर सहित 5 शहरों में रात्रिकालीन कर्फ़्यू लगा दिया… ऐसे में शादियां कैसे होगी..? जनता का सवाल है कि जब चुनावों में हजारों की भीड़ उमड़ रही थी तब कोरोना संक्रमण की चिंता नेताओं को नहीं हुई… तब अदालती फटकार भी बेअसर रही और मुख्यमंत्री तो सुप्रीम कोर्ट जाकर आदेश भी ले आये और सभाएं जारी रही…कठपुतली चुनाव आयोग भी खामोश बैठा रहा… इसी का परिणाम है कि अब संक्रमण बढऩे लगा ,जिसका खामियाजा जनता से लेकर फिर व्यापारियों को भुगतना पड़ेगा… नेताओं ने तो चुनाव से सत्ता हासिल कर ली और जनता को शादी सहित अन्य आयोजनों में प्रतिबंध झेलना पड़ रहे है… तमाम परिवारों ने होटलों, गार्डनों में बुकिंग कर ली और एडवांस रुपए चुका दिए… निमंत्रण पत्र भी बंट गए.. अब वे क्या करें..? जनता का ये भी सवाल है कि क्या रात में ही कोरोना वायरस सक्रिय रहेगा, जो चुनावी भीड़ में निष्क्रिय था…इधर शासन-प्रशासन की कोरोना पर आंकड़ेबाजी शुरू हो गई… कोरोना मैनेजमेंट की असफलता का खामियाजा पहले प्रवासी मजदूरों ने तो अब बेबस जनता और कारोबारियों को पता नहीं कब तक भुगतना पड़ेगा ?