Bihar SIR: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान में बड़ा खुलासा हुआ है। इस अभियान में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के संदिग्ध नागरिकों की पहचान की जा रही है, जो कथित तौर पर वोटर लिस्ट में अवैध रूप से नाम दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे थे।
कैसे पकड़े जा रहे हैं विदेशी नागरिक?
SIR के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। इस दौरान वे नागरिकों से कुछ अहम सवाल पूछ रहे हैं, जिनका जवाब न दे पाने की स्थिति में व्यक्ति संदिग्ध श्रेणी में आ जाता है। पूछे जाने वाले मुख्य सवाल हैं:
1. जन्मस्थान कहां है?
2. माता-पिता कहां के रहने वाले थे?
3. भारत में कब से रह रहे हैं?
4. स्कूलिंग कहां से की गई?
5. आधार कार्ड, राशन कार्ड या जन्म प्रमाणपत्र दिखाएं
इनमें से एक या अधिक सवालों का जवाब न दे पाने पर BLO उस व्यक्ति को विदेशी मानकर रिपोर्ट ज़िला निर्वाचन अधिकारी को भेज देता है।
कौन-कौन से संकेत से होती है पहचान?
• जब व्यक्ति का जन्मस्थान नेपाल या बांग्लादेश बताया जाता है
• भारतीय स्कूल या कॉलेज का कोई प्रमाण नहीं होता
• माता-पिता की नागरिकता स्पष्ट नहीं होती
• व्यक्ति लंबे समय से भारत में रह रहा है लेकिन वैध दस्तावेज नहीं होते
ऐसे मामलों को BLO “संदिग्ध” मानकर नोट करता है।
विदेशी साबित हुए तो क्या कार्रवाई होगी?
अगर किसी व्यक्ति की पहचान विदेशी के रूप में होती है, तो:
• उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा
• स्थानीय पुलिस और प्रशासन को जानकारी दी जाएगी
• फॉरेनर्स एक्ट के तहत कार्रवाई संभव है
• डिटेंशन प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है
1 अगस्त तक सत्यापन जरूरी, नहीं तो नाम हटेगा
SIR अभियान के तहत सभी नामों का 1 अगस्त 2025 तक सत्यापन होना जरूरी है। जो नाम सत्यापित नहीं होंगे, वे 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किए जाएंगे।
फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि यह घुसपैठ कितनी व्यापक है, लेकिन पहली बार चुनाव आयोग ने इतनी गहराई से वोटर सत्यापन अभियान चलाया है। सभी आंकड़े आने के बाद ही यह साफ़ हो पाएगा कि मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों की घुसपैठ कितनी बड़ी चुनौती बन सकती है।