जितिन प्रसाद की राजीनतिक यात्रा

Ayushi
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जितिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद (बाबा साहिब) भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी (1991), पी.वी.नरसिम्हा राव (1994) के राजनितिक सलाहकार ,उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष(1995) तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। जितिन प्रसाद ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दून पब्लिक स्कूल (देहरादून, उत्तराखंड) तथा स्नातक में दिल्ली विश्विवद्यालय से बी.कॉम तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान (दिल्ली) से MBA किया है।

सर्वप्रथम, जितिन प्रसाद सन् 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने, सन् 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट शाहजहाँपुर से 14 वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी तथा इसमें उन्हें विजय भी प्राप्त हुई। पहली बार जितिन प्रसाद को सन् 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया था। उसके बाद सन् 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव में धौरहरा से चुनाव लड़े तथा इस चुनाव में 184,509 वोटों से उन्हें विजयी भी प्राप्त हुई।

जितिन प्रसाद 2009 से 18 जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय,19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संशाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं।

जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए

जितिन प्रसाद शाहजहाँपुर, लखीमपुर तथा सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीती के लिए जाना जाता है।

राहुल गांधी को नुकसान

ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा- ये वो चार नाम हैं जो सालों तक राहुल गांधी के करीबी रहे। राहुल गांधी की युवा टीम को लेकर जब भी चर्चा होती, इनका जिक्र जरूर आता। संसद के भीतर और बाहर भी, कई मौकों पर ये साथ ही देखे जाते थे। इस चौकड़ी में अब दो ही राहुल गांधी के साथ बचे हैं। बड़ा सवाल यह है कि ये दोनों भी राहुल का साथ कब तक दे पाएंगे क्योंकि भीमकाय होती बीजेपी के सामने पस्त पड़ी कांग्रेस में नई जान फूंकने की आस पर बार-बार पानी फेरा जा रहा है और नए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई ना कोई बहाने टाल दिया जा रहा है।