भोपाल: मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लंबी बीमारी के बाद आज सुबह निधन हो गया है। उत्तरप्रदेश के लखनऊ से सांसद रहे लालजी टंडन राजनीति की पुरानी पीढ़ी के दिग्गज नेता रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लालजी टंडन ने पार्षद से लेकर राज्यपाल तक अक सफ़र पूरा किया।
लखनऊ में जन्में लालजी टंडन महज 12 साल की उम्र में ही संघ से जुड़ गए। 1960 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लाजी टंडन दो बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद साल 1996 से 2009 तक विधानसभा के सदस्य रहे। टंडन उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वह पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे। अगस्त 2018 को लालजी टंडन बिहार के राज्यपाल बने। 20 जुलाई 2019 को उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
भाजपा को बड़ा मुकाम दिलाने में रहा योगदान
लालजी टंडन उस पीढ़ी के नेता रहा है, जिसने बाद में जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी को बड़ा मुकाम दिलाने में बड़ा योगदान दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वजह से उनका मध्यप्रदेश से करीबी नाता रहा है और यही वजह है कि उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।
अटल के करीबी रहे लालजी टंडन
लालजी टंडन पद्मश्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी रहे। उनके चुनावी प्रबंधन की पूरी कमान हमेशा लालजी टंडन ने ही संभाली। जब अटल जी ने राजनीतिक संन्यास की घोषणा की तो उत्तराधिकारी के रूप में एक अकेला नाम लालजी टंडन का ही सामने आया।