20 करोड़ लोगों के लिए नीति निर्धारण, नए सिरे से जातियों की पहचान

Akanksha
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राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्द्ध घुमंतू आयोग, नई दिल्ली में आज संबंधित जनजातियों की पहचान के लिए विशेषज्ञों की बैठक में हिस्सा लिया। महत्वपूर्ण चर्चा में मेरे अलावा डॉ. बी के लोधी, डॉ. सुशील भाटी, डॉ. शिबानी रॉय और एस एन रिज़वी ने भाग लिया। आयोग के सदस्य श्रवण सिंह राठौड़ और सदस्य-सचिव श्री बी के प्रसाद (आईएएस) ने विषय पर प्रस्तावना रखी। रिसर्च स्कॉलर श्री पल्लव, मारिया सलीम और सीमा ग्रेवाल भी उपस्थित थे। अशोक शेट्टी (आईएएस) ने भी रिपोर्ट प्रस्तुति पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।.

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आप सबकी शुभकामनाओं का ही यह सुफल है कि मुझे भारत सरकार के विमुक्त, घुमन्तू तथा अर्द्धघुमन्तू जनजाति आयोग में विशेषज्ञ के रूप में शामिल किया गया है। इसके साथ ही सदस्य, कार्यकारी समूह का भी काम सौंपा गया है। यह आयोग केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। आयोग के अन्तर्गत आने वाली जनजातियों में लोगों की संख्या लगभग 20 करोड़ है। मुझे दो कार्यसमूह में लिया गया है। पहले समूह में सूचना, शिक्षा और संचार का कार्य होगा तो दूसरे समूह में उन्हें इस वर्ग हेतु जनजातियों की पहचान का कार्य करना है।

बताना उपयुक्त होगा कि सरकार ने मुझे सामाजिक मामलों के जानकार की हैसियत से आयोग में लिया है क्योंकि मैं लंबे समय से इन जातियों के इतिहास और अत्यंत पिछड़े हालात को लेकर उनकी समस्याओं को राज्य तथा केंद्र सरकार के समक्ष उठाता रहा हूँ। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्द्धघुमंतू जनजाति आयोग का गठन इन जातियों के लोगों की राज्यवार पहचान, उनके जनसँख्या घनत्व को जानने के लिए किया है। आयोग इन जातियों के सामजिक-आर्थिक विकास को भी परखेगा तथा उनके कल्याण के लिए उठाये जाने वाले कदम भी सुझाएगा। प्रख्यात समाजसेवी भीकू राम जी इदाते (दादा) आयोग के अध्यक्ष , श्रवणसिंह राठौर सदस्य और 1983 बैच के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बी. के. प्रसाद सदस्य-सचिव हैं।