“मन की बात” में पीएम मोदी का संवाद, तमिल भाषा न सीख पाना बताई अपनी सबसे बड़ी कमी

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नई दिल्ली। रेडिओ कार्यक्रम “मन की बात” में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, कल माघ पूर्णिमा का पर्व था, माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। उन्होंने कहा कि, हमारे शास्त्रों में कहा गया है, “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति,”अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।

‘मन की बात’ के दौरान पीएम मोदी ने पानी को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है। साथ ही पानी के संरक्षण की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु आने से पहले ही हमें जल संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर देने चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि पानी के संकट को हल करने के लिये एक बहुत ही अच्छा संदेश पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने भेजा है। ये बात सही है कि जैसे सामूहिक उपहार है, वैसे ही सामूहिक उत्तरदायित्व भी है। सुजीत जी की बात बिलकुल सही है। नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी, ये सब, हर किसी के लिये हैं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान संत रविदास का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती और ये नाम है संत रविदास। उन्होंने कहा कि आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है। संत रविदास की जीवनी को बताते हुए उन्होंने कहा कि संत रविदास ने कहा था हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है। वाराणसी को अपना सौभाग्य बताते हुए उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं। संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है।

पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है। ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत सामान्य होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा जी मुझसे एक ऐसा ही सवाल पूछा, उन्होंने पूछा कि आप इतने साल पीएम रहे, सीएम रहे, क्या आपको लगता हैं कि कुछ कमी रह गई है।