मन की बात में बोले पीएम मोदी – सीखने की चाह कभी खत्म नहीं होनी चाहिए

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पीएम मोदी ने आज मन की बात के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश की जनता से कहा कि चार दिन बाद नया साल शुरू होने वाला है। जिसके बाद अब अगले साल मन की बात होगी। पीएम मोदी ने कहा कि देश में नया सामर्थ्य पैदा हुआ है। जिसका नाम है आत्मनिर्भरता। इसके आने के बाद देश में बने खिलौनों की मांग बढ़ रही है। मुझे कई देशवासियों के पत्र मिले हैं। जिसमे से अधिकतर में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है।

उन्होंने कहा मैंने देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। देश के सम्मान में सामान्य मानवी ने इस बदलाव को हमसूस किया है। चुनौतियां खूब आई, संकट भी अनेक आए. कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं भी आई, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए है। आगे पीएम मोदी ने कहा कि जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट की सोच के साथ काम करने का ये उचित समय है।

मैं देश के मैन्युफैक्चरर्स और इंजस्ट्री से आग्रह करता हूँ। देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है, वोकल फॉर लोकल, ये आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में, अब यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों। साथियों हमें वोकल फॉर लोकल की भावना को बनाये रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है। आप हर साल न्यू ईयर रेजोल्यूशन लेते हैं, इस बार एक रेजोल्यूशन अपने देश के लिए भी जरुर लेना है।

इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।

हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है, वहीं गीता का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा गीता हमें हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। गीता की विशिष्टता ये भीहै कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है।