सदन में गरजे PM मोदी, कहा- जितना कीचड़ फेंकोगे, उतना कमल खिलेगा, देश देख रहा एक अकेला कितनों पर है भारी

ashish_ghamasan
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। इस दौरान वह कांग्रेस पर जमकर बरसे। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष की नारेबाजी और शोर-शराबा पर कहा कि ये देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी है।

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- हम देश को विकास का मॉडल दे रहे हैं। देश हमारे साथ है। कांग्रेस को बार-बार देश नकार रहा है, लेकिन कांग्रेस के साथी साजिशों से बाज नहीं आते हैं। कांग्रेस ने एनटीआर की सरकार को गिरा दिया था। हर क्षेत्रीय नेता को उन्होंने परेशान किया। 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया।

पीएम मोदी ने कहा- मेरे समझ में नहीं आता कि आखिर गांधी परिवार को सरनेम में नेहरू लिखने में शर्मिंदगी क्यों महसूस होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए बताया है कि कैसे वे गांव गरीब और किसानों की खुशहाली के लिए काम कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा- इस सदन में जो कुछ कहा जाता है, उसे देश ध्यान से सुनता है। कुछ सांसद इस सदन को बदनाम कर रहे हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा- आदिवासियों के लिए 50 नए मॉडल स्कूल खोले गए। किसानों के नाम पर राजनीति की गई। छोटे किसानों की आवाज किसी ने नहीं सुनी। असली ताकत छोटे किसानों के पास है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में हमारे आदिवासियों का योगदान स्वर्णिम पृष्ठों से भरा हुआ है। लेकिन दशकों तक हमारे आदिवासी विकास से वंचित रहे।

PM मोदी ने विपक्षी बेंच की तरफ देखकर अपना सीना ठोका और कहा कि आज देश देख रहा है, एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा। मैं देश के लिए जीता हूं, देश के लिए कुछ करने को निकला हूं। हम मक्खन पर लकीर खींचने वाले लोग नहीं है। हम पत्थर पर लकीर खींचते हैं। हमने राजनीतिक घाटा फायदा नहीं देखा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश को आधुनिक होना है, नए संकल्पों को सोचना है तो साइंस और टैक्नोलॉजी को नकार नहीं सकते। हम टुकड़ों में नहीं सोचते हैं। उन्होंने आगे कहा, एक समय था, हम मोबाइल इंपोर्ट करते थे, आज मेरा देश मोबाइल एक्सपोर्ट कर रहा है। PM मोदी ने कहा कि 2014 से पहले आदिवासी परिवारों को 14 लाख जमीन के पट्टे दिए गए थे, जबकि हमने बीते कुछ वर्षों में ही 7 लाख से अधिक पट्टे दिए हैं।

उन्होंने आगे कहा- आज मेरे ही देश के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बनाई, जिसे पूरी दुनिया में स्वीकृति मिली। जिन्हे नौकरी और रोजगार में अंतर पता नहीं वो हमें उपदेश दे रहे हैं। 350 से ज्यादा प्राइवेट कंपनियां आज रक्षा क्षेत्र में काम कर रही हैं। देश की आजादी में आदिवासी भाईयों का बहुत योगदान है, लेकिन दशकों तक वे विकास से दूर रहे।