नई दिल्ली : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित विशेष गुणों वाली 35 नई फसल किस्मों को भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया। साथ ही राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस अनुसंधान संस्थान रायपुर (छत्तीसगढ़) के छह नए भवनों को लोकार्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि जब विज्ञान, सरकार व समाज एक साथ काम करते हैं तो परिणाम बेहतर होते हैं।
किसानों व वैज्ञानिकों के मिल-जुलकर काम करने से देश को नई चुनौतियों से निपटने में मजबूती मिलेगी। जब भी किसानों व कृषि को सुरक्षा कवच मिलता है तो उनका विकास तेजी से होता है और इस दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। किसानों के मूल्यवर्धन, उनकी आय बढ़ाने व उन्हें अन्य कृषि विकल्पों के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश में नई कृषि क्रांति का सूत्रपात हुआ है। गुजरात में सफलता के कीर्तिमान रचने के बाद श्री मोदी जी के दीर्घ अनुभव का लाभ देशभर को मिल रहा है।कार्यक्रम में वर्चुअल शामिल हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड वितरित किए। साथ ही उन किसानों से सीधा संवाद किया, जो नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग करते हैं। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल की श्रीमती जैतून बेगम से उनके द्वारा उपयोग की जा रही नई कृषि पद्धतियों को सीखने की यात्रा, उनके द्वारा सैकड़ों किसानों को दिया गया प्रशिक्षण और घाटी में बालिका-शिक्षा के लिए काम करने के प्रति उनके समर्पण के बारे में बातचीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलों में भी जम्मू-कश्मीर की लड़कियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि छोटी जोत वाले किसानों की जरूरतें सरकार की प्राथमिकता में हैं और उन्हें सभी लाभ, सीधे प्राप्त होते हैं।
बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) के किसान व बीज उत्पादक श्री कुलवंत सिंह से प्रधानमंत्री ने पूछा कि वह कैसे विभिन्न प्रकार के बीजों का उत्पादन करते हैं, पूसा कृषि संस्थान में वैज्ञानिकों से चर्चा से उन्हें क्या फायदा हुआ और ऐसे संस्थानों के साथ संपर्क में रहने को लेकर किसानों में क्या रूझान है। प्रधानमंत्री ने फसलों के प्रसंस्करण व मूल्यवर्धन करने के लिए उनकी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार बीज से बाजार तक की व्यवस्था के तहत अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी कई पहल के माध्यम से किसानों को अच्छी कीमत दिलाने के लिए प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने बारदेज (गोवा) निवासी श्रीमती दर्शना पेडनेकर से पूछा कि वह किस प्रकार विविध फसलों की खेती करते हुए पशुओं का पालन-पोषण व अन्य कार्य भी कर रही हैं। उन्होंने श्रीमती दर्शना से उनके द्वारा नारियल के फसल में किए गए मूल्यवर्धन के बारे में पूछा, वहीं खुशी व्यक्त की कि कैसे एक महिला किसान, एक उद्यमी के रूप में स्थापित होकर ऊंचाइंया हासिल कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने मणिपुर के श्री थोइबा सिंह के साथ संवाद में, सशस्त्र बलों में सेवाएं देने के बाद खेती का काम संभालने के लिए उनकी सराहना की।
श्री थोइबा की विविध गतिविधियों जैसे कृषि, मत्स्य पालन और अन्य संबद्ध गतिविधियों ने प्रधानमंत्री को प्रभावित किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान का उदाहरण बताते हुए उनकी प्रशंसा की। श्री मोदी ने उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) के निवासी श्री सुरेश राणा से पूछा कि उन्होंने मक्के की खेती कैसे शुरू की। प्रधानमंत्री ने कृषक उत्पादन संगठनों (एफपीओ) का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए उत्तराखंड के किसानों की सराहना की और कहा कि जब किसान मिलकर काम करते हैं तो उन्हें बहुत लाभ होता है। सरकार किसानों को हर संसाधन और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा सबसे ज्यादा ध्यान अधिक पौष्टिक बीजों पर है, जो खासकर बदलते मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल हैं।” प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के बीच पिछले साल विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर हुए टिड्डियों के हमले को याद करते हुए कहा कि भारत ने इस हमले से निपटने के लिए काफी प्रयास किए और किसानों को बहुत अधिक नुकसान होने से बचाया।
प्रधानमंत्री ने सरकार की किसान-हितैषी पहलों के बारे में बताया, जैसे- किसानों को जल सुरक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 100 लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अभियान, फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराना और इस प्रकार अधिक उपज प्राप्त करना, 11 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना। एमएसपी बढ़ाने के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है ताकि अधिकाधिक किसानों को लाभ मिल सके। रबी सीजन में 430 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं खरीदा गया व किसानों को 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है। महामारी के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्याक को तीन गुना से अधिक बढ़ाया गया है।
श्री मोदी ने कहा कि किसानों को तकनीक से जोड़कर हमने उनके लिए बैंकों से मदद लेना आसान बना दिया है। आज किसानों को मौसम की जानकारी बेहतर तरीके से मिल रही है। हाल ही में 2 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्धि कराए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फसलें भी प्रभावित हो रही है। इन पहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है। साइंस और रिसर्च के समाधानों से अब मोटे अनाजों सहित अन्य अनाजों को और विकसित करना ज़रूरी है। इसका मकसद यह है कि अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग ज़रूरतों के हिसाब से इन्हें उगाया जा सके। उन्होंने लोगों से कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को मिलेट वर्ष घोषित करने के फलस्वउरूप उपलब्धक होने वाले अवसरों का उपयोग करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्राचीन कृषि परंपराओं के साथ-साथ भविष्य की ओर बढ़ना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आधुनिक प्रौद्योगिकी व खेती के नए उपकरण भविष्य की खेती के मूल में हैं। आधुनिक कृषि मशीनों व उपकरणों को बढ़ावा देने के प्रयासों के सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों की योजनाएं देश के हर वर्ग के छोटे तबके को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है जैसा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का भी दर्शन है। देश में अधिकांश किसान भी छोटे हैं जिनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना सरकार का प्रमुख उद्देश्य है। प्रधानमंत्री जी की किसान हितैषी नीतियों के कारण स्वयं किसान ही जगह-जगह बोलते हैं कि मोदी जी किसानों के प्रधान सेवक है। प्रधानमंत्री जी का दृढ़ संकल्प रहा है कि छोटे किसानों को इतनी ताकत प्रदान कर दी जाएं कि वे दया पर नहीं बल्कि अपने दम पर निर्भर रह सकें और उन्हें इतना मजबूत बनाया जाएं कि वे देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान कर सकें।
श्री तोमर ने, मोदी जी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते किए गए अभूतपूर्व विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि तब देश में चौबीस घंटे बिजली देने वाला गुजरात सबसे पहला राज्य बना था। गरीबों के प्रति संवेदनशील रहते आए मोदी जी ने गुजरात में गायों के जख्म पर मरहम लगाना व गायों के मोतियाबिंद के आपरेशन कराने जैसी पहल भी मुख्यमंत्री रहते हुए की थी। श्री मोदी की पहल, नवाचार व दूरदर्शिता के कारण ही गुजरात आज खेती में कीर्तिमान हासिल कर रहा है और कच्छ जैसे रेगिस्तानी इलाके से भी कृषि उत्पाद निर्यात तक हो रहे हैं। उनकी कृषि संबंधी पहले की उपलब्धियां भी जताती है कि कृषि क्षेत्र के प्रति उनका कितना लगाव रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रति भी मोदी जी बहुत चिंतित रहते हैं और इस संबंध में अनेक ठोस उपाय कर रहे हैं। पीएम-किसान, फसल बीमा योजना, दस हजार नए एफपीओ बनाने की पहल, किसान रेल, ई-नाम मंडियां, एमएसपी बढ़ाकर घोषित करने, कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रू. से अधिक के फंड तथा कृषि सुधार कानून जैसे अनेक ठोस कदम प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी ने उठाए हैं। किसानों को बीज से बाजार तक सुविधाएं मिलें तथा उनकी आय बढ़े, इसके लिए मोदी जी सदैव तत्पर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन एवं डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी व सुश्री शोभा करंदलाजे भी उपस्थित थे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने संचालन किया। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह व सांसद श्री सुनील सोनी, अन्य जनप्रतिनिधि, कृषि से जुड़े देशभर के संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी व वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्रों में उपस्थित एक लाख से अधिक किसान तथा राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. पी.के. घोष भी शरीक हुए।