योग गुरु रामदेव बाबा का मुसीबतों से पीछा छूट ही नहीं रहा है क्योंकि उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेदिक का एक उत्पाद अनिवार्य गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहा, जिसके बाद एक अदालत ने कंपनी के अधिकारी, वितरक और दुकानदार सहित आरोपियों को 6 महीने की सजा सुनाई। उत्पाद के बारे में उठाई गई चिंताओं के बाद, 2019 में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा बेरीनाग बाजार में एक दुकान से नमूने एकत्र किए जाने के बाद पतंजलि नवरत्न इलाइची सोन पापड़ी गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही।
‘6 महीने की कैद के साथ जुर्माना लगाया’
पिथौरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सहायक महाप्रबंधक और वितरक अभिषेक कुमार, दुकानदार लीलाधर पाठक और कान्हा जी के सहायक प्रबंधक अजय जोशी को छह महीने की कैद के साथ जुर्माना लगाया। तीनों को कारावास के अलावा जुर्माना भी लगाया गया। आरोपियों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत सजा सुनाई गई है।
मामले की अधिक जानकारी देते हुए खाद्य सुरक्षा अधिकारी पिथौरागढ़ राजेश शर्मा ने बताया कि 17 सितंबर 2019 को बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान से पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी का सैंपल लिया गया था। नमूना उधम सिंह नगर सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया था जहां 2020 में परीक्षण के बाद उत्पाद को उपभोग के लिए असुरक्षित पाया गया था। नमूने का गाजियाबाद स्थित सेंट्रल लैब में दोबारा परीक्षण किया गया, जहां फिर से उत्पाद उपभोग के लिए असुरक्षित पाया गया। इसके बाद लीलाधर पाठक, वितरक अजय जोशी और पतंजलि के अभिषेक कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
‘5,000 और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया’
शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य नवीन मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ संजय सिंह की अदालत ने तीनों आरोपियों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत 6 महीने की सजा सुनाई। लीलाधर पाठक और अजय जोशी पर क्रमशः 5,000 और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। अभिषेक कुमार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। प्रकरण में परिवादी की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी रीतेश वर्मा उपस्थित हुए।
पतंजलि पहले से ही भ्रामक विज्ञापन मामले में उलझी हुई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को फटकार लगाई है, और मामले में बाबा रामदेव और अन्य को जारी अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।