पाप प्रदूषण से मुक्ति दिलाता है पर्यूषण : वीर रत्न विजय महाराज

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( दूसरा दिन)

श्री वीर मणि चंद्रप्रभु जैन मंदिर एवं उपाश्रय ट्रस्ट ओएसिस टाउनशिप बायपास इंदौर में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन संबोधित करते हुए गुरुदेव ने कहा पर्युषण पर्व प्रदूषण मुक्ति का पर्व है। जो कर्तव्य पथ पर चलता हुआ कष्टों को भी हंसते हुए सह लेता है, वो ही जगत में वंदनीय, पूजनीय व स्मरणीय होता है। जिस प्रकार तीर्थों का राजा शत्रुजय, मंत्रों का राजा महामंत्र नवकार है, उसी प्रकार पर्वो का राजा पर्युषण महापर्व है। पर्युषण पर्व के आठ दिनों में की जाने वाली आराधनाओं से अष्टकर्मों का क्षय होता है। यह पर्व जीव को भविष्य में दुर्गति व वर्तमान में दुर्भाव से बचाता है।

पर्व के दिनों में तप-त्याग करने से शुभ आयुष्य कर्म का बंध होता है, जिससे जीव सद्गति प्राप्त करता है। हवा धुंए से, पानी क्लोरिन से, अनाज कीटनाशक विष से, धन अनीति से, तो मन राग-द्वेष, घृणा, कषाय से प्रदूषित है। प्रदूषित मन को शुद्ध करने के लिए पर्युषण में कर्तव्यों का पालन किया जाता है।

प्रथम – अमारि प्रवर्तन अर्थात् जीव दया का पालन करना, अहिंसा का पालन करने से हिंसक प्रवृत्ति दूर होती है।

दूसरा – साधर्मिक भक्ति, कमजोर भाइयों को आर्थिक, शारीरिक व सामाजिक दृष्टि से सक्षम बनाना, ऐसा करने से परस्पर प्रेम भाव बढ़ता है।

तीसरा – क्षमापना, सभी जीवों को क्षमा करना व स्वयं क्षमा मांगना, इससे मित्रता बढ़ती है।

चौथा – अट्ठम तप से आहार के प्रति आसक्ति कम होती है।

पांचवा – चैत्य परिपाटी अर्थात् प्रभु दर्शन से परमात्म स्वरुप की प्राप्ति होती है।

भविष्य में दुर्गति व वर्तमान में दुर्भाव से बचाता है पयुषण पर्व। उपरोक्त अवसर पर सैकड़ों समाज बंधु मौजूद थे उनमें प्रमुख श्री कल्पक गांधी श्री देवाशीष कोठारी श्री आशीष शाह श्री अजय जैन एवं युवा राजेश जैन प्रमुख रूप से उपस्थित थे