नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र तय समय से पहले ख़त्म हो सकता है। संसद के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक़ 30 सांसदों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद यह फैसला लिया जा सकता है। संसद 14 सितंबर को छह महीने में पहली बार बैठी और 1 अक्टूबर तक काम करना था, लेकिन दोनों अधिकारियों ने कहा कि संसद के काम करने की समयावधि एक सप्ताह तक कम हो सकती है।
संसद सत्र की कार्यवाही में शामिल दो अधिकारियों में से एक अधिकारी ने कहा, ‘सत्र शुरू होने के बाद से सकारात्मक मामलों की संख्या बढ़ गई है, इसलिए सरकार सत्र की समयावधि कम करने के बारे में सोच रही है।’ सरकार ने शनिवार से सत्र को कवर करने के लिए संसद में प्रवेश करने वाले पत्रकारों के लिए डेली एंटीजेन टेस्ट भी अनिवार्य कर दिया है।
लोकसभा और राज्यसभा के सचिवालयों ने सदन की समयावधि कम होने से जुड़े सवालों का फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है। जो सांसद कोरोना संक्रमित हुए हैं उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं। वहीं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि परीक्षा हॉल में पर्चियों के लेन-देन की अनुमति नहीं है लेकिन कोविड-19 सुरक्षा उपायों के मद्देनजर उच्च सदन में सदस्य एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए ऐसा कर सकते हैं।
सांसदों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के नए मामलों के आने के बाद अब नए प्रोटोकॉल के मुताबिक, संसद परिसर में प्रवेश करने वाले वहां के सभी कर्मचारियों और पत्रकारों की रोजाना एंटीजन जांच अनिवार्य कर दी गई है। संसद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों सदनों के सदस्य एक निश्चित अंतराल के बाद आरटी-पीसीआर जांच करवा रहे हैं। सांसद चाहे जितनी बार, आरटी-पीसीआर जांच करा सकते हैं।