पंचगव्य थैरेपी शरीर, मन और आत्मा में संतुलन बनाती है – गणिवर्य आनंदचंद्र सागर म सा

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इंदौर : पंचगव्य थेरेपी एक वैदिक उपचार पद्धति है जिसमें पंचगव्य का उपयोग स्वास्थ्य सुधार और रोगों के निदान में किया जाता है। पंचगव्य के पाँच प्रमुख घटक हैं, गाय का दूध,दही,घी,गोबर और गोमूतृ। उपरोक्त विचार प पू गणिवर्य आनन्दचंद्र सागरजी जी म सा ने पंचगव्य आधारित स्वर्णिम मैगज़ीन के प्रथम अंक के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने पंचगव्य के गुणों, उपयोगों और लाभों पर चर्चा करते हुए इसे एक व्यावहारिक और प्रभावी उपचार पद्धति के रूप में प्रदर्शित किया जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।

पंचगव्य के सेवन की महत्ता, उचित रूप से इसका उपयोग करने के तरीके, रोगों के इलाज में पंचगव्य का उपयोग, आहार और जीवनशैली में परिवर्तन के बारे में बात की। पंचगव्य का सेवन करने से हम अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ताकत को मजबूत कर सकते हैं और उत्तम स्वास्थ्य और आत्मा की विकास को प्राप्त कर सकते हैं।

श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय नवकार वाटिका रेसकोर्स रोड पर चल रहे चातुर्मास में वीरेन्द्र कुमार रेखा जैन ने बतलाया कि मैगज़ीन के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य जनता को पंचगव्य के लाभों के बारे में जागरूक करना और स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है । संपादक विवेक शारदा जैन बतलाया कि यह डिजिटल मैगज़ीन पूर्णतः नि:शुल्क देश के घर घर में पहुँचाने का प्रयास करेंगे ।इस अवसर पर रेसकोर्स उपाश्रय के अध्यक्ष डॉ प्रकाश बांगानी एवं महासचिव यशवंत जैन उपस्थित थे ।