छलनी हो गए हैं हमारे भोलेनाथ, अब तो ये क्षरण रोकिए

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कितना छलनी हो गए है ना! भोलेनाथ हमारे दुःख सहन करके देखिए ना आप भी, फिर भी हम सब चाहते है की और इसका क्षरण करे, प्रतिबंधित पूजन सामग्री अर्पित कर कर के, बाबा भोलेनाथ तो आपको नही रोकेंगे पर आप भी तो उनकी पीड़ा को समझिए ना-रोकिए-वरना जल्दी ही बाबा का यह दिव्य स्वरूप हम खो देंगे.

हमारे पिता ले जाते थे बचपन से उंगली पकड़कर सीधे महाकाल जी के गर्भ गृह में। जल, दूध, हार-फूल, पूजन सामग्री जो हम एक टोकनी में लाते थे सब एक एक करके अर्पित करवाते थे बाबा हम से। कितने आराम से, सहजता से मिलते थे ना तब भोलेनाथ महाकाल अपने नगर के निवासियों से।

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पिता कहते शिवलिंग को रगड़ो मत बेटा ..वो घिसता है ..इसका क्षरण हो जाएगा ऐसे तो! तुम अपने दोनो हाथों की 10 उंगली के पोर ( उंगली का उभरा नर्म भाग ) को हल्के से इस दिव्य पाषाण शिवलिंग से एक साथ स्पर्श करो और आँख बंद करके महाकाल को स्मरण करो, ॐ का जाप करो मन ही मन।

देखना तुमको लगेगा की कोई शक्ति तुममें प्रवेश कर रही है। तुम्हें भोलेनाथ चार्ज कर रहे है ऐसी दिव्य अनुभूति होगी। बस केवल स्पर्श करना पोर से सम्पूर्ण हाथ मत लगाना न ही इस शिवलिंग जी को रगड़ना और सच में लगता था कुछ हो रहा है अंदर धीरे धीरे। बड़ी सुखद और शुद्ध अनुभूति होती थी उन पलो में पिता के द्वारा बताई इस प्रक्रिया से।

जैसी बैटरी को कैसे लाइट के प्लग में तार लगा कर चार्ज करते है वैसे ही मुझे भी लगता था उस वक्त। पिता को किसी पहुँचे हुए सिद्ध अघोरी संत श्री ने ये महाकाल की पूजा विधि बताई थी और पिता ने हमें।

वक्त ने धीरे धीरे मंदिर में बेहद भीड़, यात्री संख्या बड़ा दी देश भर से।वी॰वी॰आई॰पी॰ दर्शन पूजन, टिकिट पूजन अभिषेक को प्राथमिकता मिलने लगी और हम जैसे कितने उज्जैन शहर के साधारण रहवासी महाकाल के गर्भ गृह दर्शन, स्पर्श, पूजन से वंचित होते चले गए, दूर होते गए। तब कितना कोमल था भोलेनाथ का ये दिव्य शिवलिंग, एक भी गड्डा या घाव नही था उनके शरीर पर।

दौलत, ताक़त, पैसों से दर्शन-पूजन ने उन पर इतने केमिकल वाले प्रदार्थ चढ़ाए की धीरे धीरे शिवलिंग का क्षरण (घिसाव) होने लगा। फिर बीच में बहुत हो हल्ला हुआ। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश भी दिया की आप केमिकल वाले दूध या कोई भी पूजन सामग्री को निषेध कर दे शिवलिंग पर अर्पण के लिए।

पर क़ानून , नियम तो साधारण आम लोग पर लागू होता है ना हमारे देश में तो इस आदेश की वजह से सामान्य जन तो गर्भ गृह से दूर हो गए।
पर इन विशिष्ट लोगों को , इनकी पहुँच ताक़त को तो महाकाल जी भी नही रोक पाए। ये कहाँ माननीय न्यायालय के आदेश को भी कुछ समझते है और वो लगातार रोज़ हज़ारों की संख्या में इस दिव्य शिवलिंग पर कितनी किलो से सब पूजन सामग्री, हाथ का पूर्ण स्पर्श, पूजन अर्चन करते शिवलिंग को ज़ोर ज़ोर से चंदन, शहद, और पूजन सामग्री से घिसना जारी रखे हुए है और इस चित्र में दिखाई दे रही चिंतित करने वाली स्तिथि में आज श्री भोलेनाथ महाकाल जी के शिवलिंग को ले आए है।

अरे !
कौन समझाएगा इन ताकतवर सत्ता, तंत्र, अमीर लोगों को की अब भी बस करो, रुक जाओ भक्तों! कितना और क्षरण (घिसाव ) करोगे बाबा के इस दिव्य शरीर को। उनके शरीर पर इतने बड़े बड़े घाव ( गड्डे ) देखकर तुमको दर्द नही होता क्या? हृदय में पीड़ा नही होती क्या? की क्या हाल कर दिया है हमने भोले का आज।

मेरी तो इस फ़ोटो को देखकर आँख भरने लगी धीरे धीरे सोचकर की उफ़्फ़ हम इंसान भी ना कैसे कह सकते है महाकाल के भक्त है, सेवक, उनकी संतान। इस अवस्था में आज शिवलिंग को पहुँचाने के ज़िम्मेदार हम सब है याने महाकाल के भक्त।

आपसे विनती है आज से, अभी से सोचिए, कुछ ठोस, निर्णायक कदम उठाइए ताकी महाकाल जी का अब और क्षरण ( घिसाव ) न हो, बस वरना एक दिन जल्दी ही हम ख़ुद को माफ़ करने के लायक़ भी नही होंगे की हमने जानते, बुझते हुए भी कुछ नही किया। महज़ अंध भक्ति में गूँगे, बहरे और अंधे बने रहे की हमें क्या? हम तो वी॰वी॰आई॰पी॰ है, बड़े लोग, विशिष्ट, पंडे पुजारी है, ख़ास है हमें कौन रोकेगा पूजन-अर्पण से कभी।

सोचिएगा इससे पहले की देर न हो जाए कुछ कीजिएगा महाकाल के दिव्य शिवलिंग के और क्षरण (घिसाव) को रोकने के लिए।

अनिल यादव अधिवक्ता उच्च न्यायालय