इंदौर: ऐतिहासिक धरोहर एग्रीकल्चर कॉलेज की भूमि को लेकर संगठनों ने दी सरकार को चेतावनी, कही ये बात

Shraddha Pancholi
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इंदौर: शहर की ऐतिहासिक धरोहर और कृषि विकास का आधार रहे एग्रीकल्चर कॉलेज की भूमि बेचना नामंजूर, कृषि शिक्षा, शोध, कृषि विकास और आजीविका को बचाना बहुत जरूरी. यह बात नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने संयुक्त स्टेटमेंट में कहीं उन्होंने कहा कि आज देश में जल, नदी, जंगल और जमीन बेचना सभी दूर किया जा रहा है। शासन का संवैधानिक कर्तव्य कृषि की रक्षा,प्राकृतिक भोजन, अन्य की सुरक्षा और उसके साथ जुड़ा आजीविका का अधिकार है। लेकिन शासन द्वारा जिसको की कुचला जा रहा है। कृषि क्षेत्र सबसे बड़ा देशवासियों के रोजगार का सबसे बड़ा अधिकार एवं साधन होते हुए भी कृषि एवं किसानों के हित के बदले पूंजी पतियों को कृषि भूमि का हस्तांतरण राष्ट्र हित में नहीं माना जा सकता।

एग्री अंकुरण वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे जाट ने कहा कि इंदौर के कृषि महाविद्यालय जो कि पहले जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के नाम से फेमस था, बाद में ये राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि यूनिवर्शसिटी के अधीन हो गया था. ये शहर के बीच में 147 हेक्टेयर भूमि पर बसा है जिस पर है और वह खतरे में है यहां पूरे मध्यप्रदेश के किसान और युवा 50 सालों से भी ज्यादा समय से ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस कॉलेज की विशेषता है कि यहां की जैविक खेती, ज्वार ,कपास, सूरजमुखी और सोयाबीन की अनुसंधान किसान और कृषि के लिए वरदान साबित हुआ है। हर साल सैकड़ों विद्यार्थी यहां से पास आउट होकर कृषि एवं जलवायु परिवर्तन एवं सस्टेनेबल डेवलपमेंट के मुद्दों पर अपना योगदान देते हैं यह क्षेत्र 300 सालों से इंदौर एरिया का ऑक्सीजन बना हुआ है। यहां महात्मा गांधी ने भी 1935 में आकर कंपोस्ट खाद का महत्व देखा एवं उसकी तारीफ की थी.


किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ सुनीलम ने कहा की ऐसे महाविद्यालय की भूमि पर नजर रखना और शासन प्रशासन द्वारा इस 147 हेक्टेयर की भूमि को बेचकर मॉल एवं होटल का निर्माण करना चाहते हैं यह विकृत मानसिकता का प्रतीक है। एवं पोटेंशियल एग्रीकल्चर कॉलेज को शहर के बाहर धकेलना और यहां के सारे भवनों को ध्वस्त करना शिक्षा रोजगार युवा एवं किसान विरोधी कार्य है.

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कालेज के पूर्व छात्र स्वरूप नायक ने कहा कि हम इंदौर एग्रीकल्चर कॉलेज की जमीन छीनने का पुरजोर विरोध करते हैं एवं यह शासन का निर्णय थोपा गया निर्णय है और इस बाजारों बिक्री के खिलाफ चल रहे विद्यार्थियों के संघर्ष में हमारा संगठन विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के साथ है. किसान संगठन के डॉक्टर हनन मौला, प्रेम सिंह, डॉ अशोक धवले ने कहा कि हम इंदौर तथा मध्य प्रदेश के सभी संबंधित अधिकारी राजनेता एवं मुख्यमंत्री को अवगत कराना चाहते हैं कि आप इस प्रकार से सही शिक्षा के आयामों को बदलकर व्यापार के पक्ष में जाकर इसी ऐतिहासिक धरोहर को एवं या की विशेष की कृषि भूमि को समाप्त नहीं कर सकते.

संगठन के रंजीत रघुनाथ जो कि एक किसान नेता है ने मध्यप्रदेश शासन को चेतावनी दी है कि यदि मध्य प्रदेश शासन द्वारा जमीन छीनने में जबरदस्ती की गई तो देश के सारे किसानों की पूरी ताकत जिसमें झोंक दी जाएगी. इस पर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष एवं संयुक्त किसान मोर्चा कोर कमिटी के मेम्बर योगेन्द्र यादव ने कहा की इस तरह कोर्पोरेट को सेकड़ो साल की रिसर्च की जमीन नहीं दी जा सकती. हमारा संगठन इंदौर कृषि कालेज के संघर्षरत स्टूडेंट्स के साथ है.

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