शशिकान्त गुप्ते का व्यंग
अंततः रॉफेल भारत की धरती पर उतरा।विरोधियों के सारे आरोप धरे रह गए।विरोधियों की समझ पर तरस आता है,कोई भी वस्तु वास्तव में खरीदी जाती है,तब यह नियम ध्याम रखा जाता है,सस्ता रोए बार बार, महंगा रोए एक बार।
रॉफेल धरा पर उतरते ही रक्षा मंत्री ने उदारमना से अपने देश को चनौती देने वालो प्रति चिंता व्यक्त की।
यह जो रॉफेल विमान है, इन्हें लड़ाकू विमान कहने पर अटपटा लगता है।
विमान लड़ाकू कैसे हो सकते हैं।लड़ाकू तो मानव होता है।कोई भी शस्त्र अस्त्र या यान लड़ाकू नहीं होते हैं,उसे चलाने वाले लड़ाकू होते हैं।लड़ाई के दौरान शत्रु पर हमला करने के लिए इनका उपयोग किया जाएगा,उपयोग तो चालक ही करेगा।
बहरहाल रॉफेल खरीद ही लिया।
अब हम लड़ाई ना भी करें तो धमकी तो दे ही सकते हैं।हम अथिति देवो भवो के स्लोगन पर अमल करते हैं।पहले हमलावरों को अंदर घुसने देते हैं,जब वह अपनी सीमा में घुस जाते हैं तब उन्हें खदेड़ देते हैं।कारगिल के समय ऐसा ही हुआ था।जब हमलावर वापस चले जाते हैं, तब हम शौर्य दिवस मनाते हैं।
अभी नाटे कद के हमलावरों के साथ सेम स्टोरी रिपीट हुई है,ऐसा विपक्षियों का आरोप है?
चीन के बारे में जर्मनी के लोग कहते हैं। China is cheap and cheat.यह चीन के प्रति जर्मनी वालों का मत है।
हम भारतीय हैं।राष्ट्रीयता हमारे अंगप्रत्यंग में समाई हुई है,साथ ही हमारी उदारता व्यापक है।इसीलिए हमने हमारे लोह पुरुष स्व.पटेल की गगनचुंबी मूर्ती चीन से बनवाई।
हमारी उदारता को कमजोरी नहीं समझना चाहिए।इसलिए हमने चीन को आश्चर्य जनक ढंग से पीछे धकेल दिया,आश्चर्य का कारण है,वह एक इंच भी हमारी सीमा में नहीं घुसा था?
अब तो हमे डरने का कोई कारण ही नहीं है,अब हमारे पास आयातीत रॉफेल है। सामान्य जन को समझने के लिए,अब हमारे पास इम्पोर्टेड रॉफेल है।यह हमारे आत्मनिर्भरता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
ताल ठोक का साठ कम चार इंच सीने के नाप को दर्शाते हुए,आमजन को यह संदेश है कि, राष्ट्र की सुरक्षा अहम है।बेरोजगारी,भुखमरी, आर्थिक स्थिति,वगैराह वगैराह सेकंडरी है।
एक व्यंग्यकार ने प्रश्न उपस्थित किया है,इस विमान में लड़ाई के दौरान विस्फोटक सामग्री की वर्षा करने की क्षमता है।जब तक युद्ध नहीं होता तब तक इसकी क्षमता का उपयोग देश में गोमूत्र के छिड़काव के लिए करना चाहिए।गोमूत्र से कोरोना का इलाज होता है,ऐसा किसी ऐरे गैर ने नहीं कहा है, विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के डॉक्टर प्रवक्ता ने कहा है।
इस पर भी व्यंग्यकार का कहना है कि,लड़ाकू विमान आसमान से विस्फोटक सामग्री की वर्षा करेगा कि बजाय फेकेगा लिखों।इनदिनों फेंकने की बातें बहुत हो रही है।यह विमान विस्फोटक सामग्री फेकू विमान कहलाएगा।
लेखक ने मना कर दिया।लेखक साहित्यकार है,भले ही उसकी विधा व्यंग्य की हो वह अपनी भाषा मर्यादित ही रखेगा।
लेखक किसी भी राजनीतिक दल का प्रवक्ता नहीं है,और ना ही लेखक को पवित्र धार्मिक परिधान धारण करने और राम के साथ हराम शब्द का उच्चारण करने की सुविधा प्राप्त है।
रॉफेल देश की धरती पर उतरते ही ऐसा लगता है,अब युध्द जल्दी होना चाहिए।इससे रॉफेल का परीक्षण भी हो जाएगा और शत्रु को अपनी ताक़त का अंदाजा भी हो जाएगा।
जब तक युद्ध नहीं होगा रॉफेल नुमाईश की दर्शनीय वस्तु बन कर रह जाएगा।यह भी आलोचना करने वालों का कहना है,इसमें लेखक का कोई रोल नहीं है।
रॉफेल के आगे सारे आरोप फैल है।
रॉफेल खरीदने का निर्णय बहुत सोच समझकर दूर दृष्टिता के साथ लिया गया निर्णय है।
सबसे पहले देश सुरक्षित होना चाहिए।देश सुरक्षित होगा तो देश वासी सुरक्षित रहेंगे।देश वासी सुरक्षित रहेंगे तब चैन से नोकरी या धंधा कर पाएंगे।
विपक्ष इतनी गहराई से सोचता ही नहीं है।
राष्ट्रवादी लोगों की सूझबूझ की दाद देनी चाहिए।रॉफेल आने साथ साथ भगवान राम का मंदिर भी निर्मित कर रहे हैं।
कर्म प्रधान होने साथ ईश्वर की कृपा भी होनी चाहिए।
यह सब देश मे पहली बार हो रहा है।आलोचना करने वाले कितनी भी आलोचना करें,करने दो किस्मत हमारे साथ है।
पचास वर्ष तक लोकतांत्रिक देश में राज करना है।यहाँ पर भी आलोचक कहते हैं राज शब्द सामंती है।
सत्तरवर्षो बाद कोई सक्षम व्यक्ति सर्वेसर्वा बना है।गृहमंत्री भी बहुत अनुभवी व्यक्ति हैं।गृहमंत्री ने पिछले दिनों पूर्ण विश्वास के साथ दावा किया है कि, अपना देश सन दो हजार चौवीस तक आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएगा।
इस पर भी व्यंग्यकार ने अपनी आदत अनुसार व्यंग्य कर ही दिया।”एक ग़रीब बच्चे को माँ ने नमक के साथ रोटी परोसी तब बच्चे ने कहा मैं नमक के साथ रोटी नहीं खा सकता।बच्चे की बात सुनकर माँ ने उसे समझाया बेटा दो हजार चौवीस दूर नहीं है सिर्फ चार या साढ़े चार वर्ष की ही देर है।आज तू नमक के साथ रोटी खा ले। बेटा,दो हजार चौवीस में मैं तुझे शुद्ध घी की रोटी खिलाऊंगी।
देश के गृहमंत्री कभी झूठ बोल सकते हैं?
आलोचना करने वाले आदत से लाचार है।
देश के सभी शासकों को बधाई।रॉफेल आखिरकार खरीद ही लिया।
रॉफेल के मोल भाव पर सवाल नहीं करना चाहिए।इनदिनों तो किसी भी मुद्दे पर सवाल करना ही गलत है।
एक बार पुनः समझलों
सस्ता रोए बार बार महंगा रोए एक बार।
जय हो राष्ट्रवादी
भारत माता की जय।यह बोलना ही देशभक्ति का प्रमाण है।
जय जय सिया राम।
शशिकान्त गुप्ते