गांव देहात में इनफर्टिलिटी होने पर सिर्फ महिला का ट्रीटमेंट करवाया जाता है, वहीं कई बार समस्या पुरुषों में भी पाई जाती है इसी के साथ शहरों में लेट शादी और बदलती जीवन शैली इनफर्टिलिटी का कारण है Dr Brajbala tiwari life care hospital

Deepak Meena
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इंदौर. पहले के मुकाबले गायनेकोलॉजी से संबंधित समस्या को लेकर लोगों में अवेयरनेस आई है पहले जो हैंड डिलीवरी होती थी वह वर्तमान समय में बहुत कम हो गई है। इसी के साथ मेडिकल फील्ड में भी बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं बढ़ती टेक्नोलॉजी की वजह से इसका फायदा पेशेंट को बहुत मिल रहा है। पहले के मुकाबले अब प्रेगनेंसी से संबंधित कॉम्प्लिकेशन भी कम हुए हैं मगर इसका दूसरा रूप देखा जाए तो गांव देहात में इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट को लेकर इतनी ज्यादा जागरूकता नहीं है। इस वजह से कई बार ऐसे कैसे भी देखने को सामने आते हैं जिसमें समस्या पुरुषों में होती है लेकिन ट्रीटमेंट महिलाओं का चलता है। जिसकी वजह से यह समस्या खत्म नहीं हो पाती है। वही शहरों में इनफर्टिलिटी की वजह कैरियर के चलते लेट शादी होना है इसी के साथ बदलती जीवन शैली और हमारा खान-पान भी इसका कारण है। यह बात डॉक्टर बृजबाला तिवारी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। वह शहर में लाइफ केयर हॉस्पिटल में गाइनेकोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है।

सवाल. क्या इनफर्टिलिटी से संबंधित समस्या लेट उम्र में शादी होने से हो रही है इससे बचने के लिए क्या किया जाए

जवाब. आजकल कैरियर को लेकर शादी लेट होने लगी है साथ ही हमारी बदलती जीवनशैली और खानपान की वजह से महिलाओं में इनफर्टिलिटी से संबंधित समस्याएं देखी जाती है। महिलाओं में अंडे बनने की प्रक्रिया उम्र के साथ चलती है इसे किसी भी दवाई से नहीं किया जा सकता है। ऐसे में महिलाओं को शादी में देरी होने की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को सामने आती है आमतौर पर 25 से लेकर 35 साल की उम्र के बीच शादी और बच्चे हो जाना चाहिए लेकिन कई बार कैरियर के चलते इसमें और डिले हो जाता है इस समस्या से बचने के लिए महिलाएं अपने अंडों को फ्रिज कर हॉस्पिटल बैंक में रख सकती हैं। वही जब भी प्रेगनेंसी प्लानिंग करनी हो तो इन अंडो का इस्तेमाल किया जा सकता है नई गाइडलाइन के अनुसार 10 साल तक इन अंडो को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी के साथ पुरुष के स्पर्म भी सुरक्षित रखे जा सकते हैं जिन्हें बाद में इस्तेमाल किया जा सकता है। हमारे पास ऐसे कई पेशेंट आते हैं जो अपने शुक्राणु और अंडाणु दोनों को सुरक्षित करके रखते हैं ताकि आगे चलकर उन्हें किसी प्रकार की समस्या ना हो।

सवाल. इनफर्टिलिटी की समस्या का मुख्य कारण क्या है क्या या किसी बीमारी से भी होती है

जवाब. हमारी बदलती लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी की वजह से आजकल स्ट्रेस बहुत ज्यादा बढ़ गया है ज्यादा स्ट्रेस का असर महिलाओं के अंडो पर पड़ता है।इसी के साथ ब्लड प्रेशर, शुगर थाइरोइड और अन्य बीमारियों का बुरा असर भी इसमें देखने को मिलता है। इंडिया में इनफर्टिलिटी का एक मेन कारण ट्यूबरक्लोसिस भी है जिसमें यूट्रस के साथ होने वाली ट्यूब ब्लॉक हो जाती है और अन्य समस्या होने की वजह से प्रेगनेंसी में समस्या होती है इसी के साथ इनफर्टिलिटी में एक बढ़ती समस्या पीसीओडी भी है जिस वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है इसमें हार्मोनल चेंजेज होते हैं जिस वजह से वजन बढ़ना, चेहरे पर फुंसी और बाल आना शामिल है। अगर हम बात आंकड़ों की करे तो 5 से 10% लोगों में इनफर्टिलिटी से संबंधित समस्या देखी जाती है।

सवाल. महिलाओं में होने वाली बहनों को से संबंधित समस्या क्या है इससे कैसे बचा जा सकता है

जवाब. जब एक महिला को 12 महीनों तक पीरियड्स नहीं आते हैं तो उस स्थिति को मेडिकल भाषा में मेनोपॉज कहा जाता है। आमतौर पर यह 45-55 की उम्र के बीच शुरू होता है। हालाँकि, कुछ मामलों में यह इससे पहले या बाद में भी हो सकता है। 45 साल से पहले महिलाओं को जब पीरियड आते हैं तो उनमें हार्ट अटैक के चांस कम होते हैं। मेनोपॉज की वजह से महिलाओं में कई हार्मोनल बदलाव भी देखे जाते हैं। इस समस्या के चलते हड्डियों में कमजोरी, हार्ट अटैक के चांस बढ़ना जैसी समस्या देखी जाती है।इसका सही समय पर चेकअप करवा कर ट्रीटमेंट करवाना सही रहता है कई बार लोग इसे एज फैक्टर समझकर नजरअंदाज करते हैं जो की सही नहीं है। कई बार यह जेनेटिक रूप से भी देखने को सामने आता है। यह समस्या पहले भी होती थी लेकिन आज के जमाने में महिलाएं कई प्रोफेशन में कार्यरत है इस वजह से उनकी लाईफ पर इसका गलत असर पड़ता है।

सवाल. क्या माता-पिता में कोई बीमारी होने से वह बच्चों में भी होने की संभावना रहती है

जवाब. अक्सर यह देखने में आता है कि लोग शादी से पहले तो कुंडली तो मिलाते हैं लेकिन बच्चे पैदा होने से पहले प्री प्लानिंग नहीं करते हैं। इस वजह से माता-पिता की कई समस्याएं बच्चों में देखी जाती है। आने वाले समय में जन्म लेने वाले बच्चे को किसी प्रकार की समस्या ना हो इसके लिए प्री प्रेगनेंसी प्लान करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। कई बार माता-पिता में थैलेसीमिया और अन्य बीमारी होने के चलते उसके चांस बच्चे में भी होने के रहते है। बच्चे की प्लानिंग करने से पहले प्री कनसेप्शन काउंसलिंग करना जरूरी है। कई बार माता-पिता को मिर्गी, शूगर और अन्य प्रकार की समस्या होती है जो कि आगे चलकर बच्चे के लिए हानिकारक होती है इन सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जिन लोगों को इस प्रकार की समस्या होती है उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेकर प्रेगनेंसी प्लानिंग करना जरूरी है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से कंप्लीट की है।

जवाब. मैंने अपनी मेडिकल फील्ड मैं एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद एमएस की पढ़ाई भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से ही पूर्ण की। इसके बाद मैंने एफआईसीओजी की डिग्री हासिल की। इसी के साथ मैंने मेलबर्न इनफर्टिलिटी सेंटर से ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। वही मैंने गायनेकोलॉजी से रिलेटेड कई ट्रेनिंग और फैलोशिप प्रोग्राम में भी हिस्सा लिया है। अपनी पढ़ाई पूर्ण होने के पश्चात मैंने कुछ हॉस्पिटल में काम किया है लेकिन अपने पेशेंट को और बेहतर सुविधा देने के लिए मैंने खुद की प्रैक्टिस स्टार्ट कर दी। इसके बाद मैंने 2005 में अपने लाइफ केयर हॉस्पिटल की शुरुआत की और तब से लेकर आज तक यहां पर अपनी सेवाएं दे रही हूं।