इंदौर। स्कूली बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सिर्फ हिंदी-अंग्रेजी भाषा और सामान्य ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि इन्हें धर्म और संस्कृति से जोड़ना भी जरूरी है। तभी इनमें संपूर्णता आ सकती है। इसी बात को ध्यान में रखकर माउंट लिट्रा जी स्कूल, इंदौर में शरद पूर्णिमा और परम् विद्वान महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों ने महर्षि वाल्मीकि का रूप धारण किया और उनके उपदेश भी बताए।
ऑनलाइन रखे गए इस आयोजन में पहले स्कूल प्रिंसिपल धरम वर्मा ने बच्चों को महर्षि वाल्मीकि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के महान रामायण का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है और इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। उन्होंने सबसे पहले संस्कृत श्लोक लिखे थे। इसलिए उन्हें ‘आदि कवि” भी कहा जाता है। उनकी जयंती को प्रगत दिन के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कई तरह के आयोजन होते हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से स्कूल में कार्यक्रम नहीं रखते हुए ऑनलाइन प्रतियोगिता और आयोजन किया जा रहा है।
प्रतियोगिता में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे शामिल हुए। बच्चों ने महर्षि वाल्मीकि बनकर उनके जीवन पर प्रकाश डाला। बच्चों ने उनके लिखे श्लोक भी पढ़े और इनका महत्व बताया। बच्चों ने स्पष्ट किया कि किस तरह महर्षि वाल्मीकि के ज्ञान को अपनाकर उनका अनुसरण कर हम अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं और खुश रख सकते हैं। इस मौके पर स्कूल के सीईओ रूपेश वर्मा, मयंकराजसिंह भदौरिया, वाइस प्रिंसिपल नलिनी चौहान और कार्यक्रम समन्वयक हिंदी शिक्षिका गरिमा शर्मा ने भी बच्चों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि जीवन में खूब शिक्षा हासिल करें और अनुशासन में रहकर अपनी परिवारिक एकता का और देश की एकता का ध्यान रखते हुए अपना नाम रोशन करें।