पट्टे और ऋण पुस्तिका के लिए करना पड़ेगा ऑनलाइन आवेदन

Shivani Rathore
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इंदौर (Indore News) : इंदौर जिले में इंदौर नगर निगम सहित 8 नगर पंचायतों में शासकीय एवं आबादी भूमि के पात्र धारकों को पट्टा अथवा भूमि स्वामी अधिकार प्रदान किये जायेंगे। इसके लिये पात्र व्यक्ति आरसीएमएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकतें हैं। कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने सभी संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिये है। उन्होंने निर्देश दिये है कि इस संबंध में राज्य शासन के राजस्व विभाग द्वारा जारी परिपत्र में दिये गये दिशा-निर्देशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित कर पात्र व्यक्ति को लाभांवित किया जाये।

बताया गया कि विभिन्न नगरीय क्षेत्रों में अनेक नजूल भूखण्डों के धारकों के पास तथा इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों के अन्तर्गत ग्राम की आबादी के धारकों के पास भूखण्ड धारक का अभिलेख उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण जहां एक ओर रिकार्ड संधारित नहीं होने से राजस्व की वसूली में परेशानी होती है, वहीं दूसरी ओर इन धारकों को आवास निर्माण, जीर्णोद्धार या उन्नयन करने अथवा बैंक से आवास लोन लेने में विभिन्न अनुमतियां प्राप्त करने में भी असुविधा होती है। इसी प्रकार मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) अधिनियम 1984 के तहत भी पात्र व्यक्तियों को स्थाई अथवा अस्थाई पट्टा विलेख यथास्थिती प्रदान किये गये है। किन्तु उसमें से भी अनेक व्यक्ति पात्रता नहीं होने से पट्टा प्राप्त नहीं कर सके है।

कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने बताया कि उक्त स्थिति को देखते हुए राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया पट्टा अथवा भूमि स्वामी अधिकार दिये जाने के संबंध में निर्णय लेकर विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। विभिन्न श्रेणी की भूमियों पर 30 वर्षीय पट्टा अथवा भूमि स्वामी अधिकार दिये जाने के संबंध में जारी परिपत्र में कहा गया है कि नगरीय क्षेत्रों में स्थित शासकीय भूखण्डों के ऐसे अधिभोगियों को जो 31 दिसम्बर 2014 या उसके पूर्व से निर्विवाद रूप से आधिपत्य में है और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे है, ऐसे अधिभोगियों को चिन्हांकित कर निर्धारित प्रव्याजी एव भू-भाटक पर 30 वर्षीय स्थाई पट्टे जारी किए जाएंगे। ऐसे अधिभोगियों की भूमि जो मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता, 1959 के लागू होने के पश्चात किन्ही वर्षों में भूमिस्वामी अधिकार में दर्ज होकर निजी श्रेणी में दी गई एवं कालांतर में उक्त भूमि को शासकीय भूमि घोषित कर दिया गया, ऐसे मामलों में परिपत्र के निर्देशों के तहत कार्यवाही करते हुए राज्य शासन को ऐसे क्षेत्र को अधिसूचित करने के बाबत प्रस्ताव प्रेषित किये जाएंगे तथा अधिसूचना देने उपरांत ही निर्धारित उल्लेखित प्रत्याजी एवं भू भाटक पर आवंटित की जायेगी।

ऐसे भू भाग जो नगरीय निकाय के गठन/विस्तारण के समय किसी ग्राम की आबादी का भाग रहा हो इन प्रकरणों में ऐसे अधिभोगी जो आबादी भूमि पर निकाय के गठन या विस्तारण के दिनांक या उसके पूर्व से आबादी के अंदर भूमि के अधिभोगी, वे संहिता की धारा 246 के प्रावधानों के तहत उनके अधिभोग के स्थल के भूमिस्वामी माने जायेंगे। ऐसे अधिभोगियों को निर्धारित स्वत्व/आधिपत्य/अधिभोगी के समस्त भूखण्ड के भूमिस्वामी अधिकार प्रारूप “क” में प्रदत्त किये जाएंगे तथा उस पर भू राजस्व भी होगा। स्पष्ट किया गया है कि चूंकि इस श्रेणी के अधिभोगी भूस्वामित्व के हकदार संदर्भित पत्र के अनुसार माने गये है। संदर्भित परिपत्र में इस श्रेणी के अधिभोगियों से प्रत्याजी लेने का उल्लेख नहीं है।
उक्त श्रेणी की भूमियों के संबंध में आवेदन की जांच आदि की प्रक्रिया संदर्भित परिपत्र में उल्लेखित है।

इसके तहत आवेदकों को आरसीएमएस पोर्टल पर आवेदन अपलोड करना होंगे। यह आवेदन कलेक्टर के लॉगइन में स्वतः प्रदर्शित होंगे। रीडर लॉगइन से दल गठन करते हुए संबंधित दल द्वारा जांच की जायेगी। इस दल में संबंधित एसडीएम, क्षेत्र के तहसीलदार/नायब तहसीलदार/आरआई/पटवारी एवं नगरीय क्षेत्र में झोन के एआरओ एवं भवन अधिकारी अथवा सी.एम.ओ रहेंगे। क्षेत्रीय एस. डी.एम. अगर इस दल में किसी और को रखना चाहते हैं, तो कलेक्टर रीडर लॉगइन से उसके नाम, विवरण की प्रवष्टि करा सकते हैं। यह गठित दल नियमानुसार विस्तृत जांच करेंगे। यह जांच प्रतिवेदन पटवारी की लॉगइन से अपलोड की जायेगी।

कलेक्टर के रीडर द्वारा ऑनलाइन प्राप्त आवेदन नोट-शीट के साथ संबंधित एस.डी.एम. को भेजी जायेंगे। जो प्रत्येक आवेदन अनुसार अपने न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर गठित दल की रिपोर्ट को उसमे हार्ड कॉपी में प्राप्त करेंगे। एस.डी.एम. विस्तृत जांच कर अपने अभिमत के साथ यह नस्ती क्षेत्रीय एडीएम के माध्यम से कलेक्टर को प्रस्तुत की जायेगी। यह प्रक्रिया संबंधित एसडीएम./ए.डी.एस. द्वारा ऑफलाइन की जायेगी। विशेष तौर पर आबादी के अधिभोगियों के प्रकरण में स्वत्व/अधिभोग हेतु जांच अत्यंत बारिकी से की जाये क्योंकि इसमें भूमिस्वामी अधिकार की मांग की जा रही है। प्रारूप ‘क’ में भूमिस्वामी अधिकार पत्र जारी किये जाने के बाद इसकी प्रवृष्टि संबंधित तहसीलदार खसरे में करेंगे। आवेदन प्राप्त होने पर सार्वजनिक उद्घोषणा की जायेगी।

यह उद्घोषणा राजस्व विभाग तथा कलेक्टर की अधिकृत वेबसाईट पर भी होगी। प्राप्त दावे-आपत्तियों का निराकरण नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन कर किया जायेगा। आबादी के अधिभोगियों के प्रकरणों में दो दैनिक समाचार पत्रों में तीस दिवस की विज्ञप्ति अनिवार्यतः जारी की जाये की जायेगी। आबादी के प्रकरणों में संहिता की धारा 246 के तहत् आवश्यक होगा कि आवेदक के पास 1959 से पूर्व का प्रश्नाधीन भूमि पर अधिभोग व अधिकार होने संबंधी समुचित दस्तावेज हो। प्रारूप ‘क’ अथवा प्रारूप ‘घ’ के तहत् कलेक्टर के अनुमोदन उपरांत पट्टे पर हस्ताक्षर करने हेतु क्षेत्रीय अपर कलेक्टर/ए.डी.एम. को अधिकृत किया गया है।